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बस्तर से मेरी रुह का रिश्ता है

admin by admin
October 15, 2024
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बस्तर से मेरी रुह का रिश्ता है

महिलाओं को सशक्त बनाकर और युवाओं को सही दिशा देकर विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना में अपनी छोटी सी भूमिका निभाना चाहती हूं।

करमजीत कौर

समाजसेवी

मीडिया पर्सनैलिटी

संस्थापिका- दी बस्तर केयर फाउंउेशन

समाजसेवी, मीडिया पर्सनैलिटी, दी बस्तर केयर फाउंउेशन की संस्थापिका करमजीत कौर से गुरबीर सिंघ चावला की विशेष बातचीत

 

 

बस्तर से आपका नाता कितना पुराना है। सामाजिक कार्यों के प्रति आपकी रुचि कैसे हुई। किनसे प्रेरणा मिली?

 

बस्तर से मेरी रूह का रिश्ता है। बस्तर मेरी जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों है। सामाजिक कार्यों की प्रेरणा मुझे मेरे माता -पिता से मिली। उन्होंने ताउम्र जरूरतमंद लोगों की मदद की। हम तीनों भाई-बहनों को उन्होंने अच्छे संस्कार दिए और यही सिखाया कि जब भी कोई तुम्हें आवाज़ दे तो यही समझना कि ईश्वर ने ही तुम्हें माध्यम बनाया है इसलिए आगे बढ़कर उनकी हर सम्भव मदद करना। बस माता-पिता की इसी सीख को मानकर लोगों की मदद करती हूं। उनके चेहरे की मुस्कान ही मुझे प्रेरणा देती है। बस दुआएं कमाती हूं साहब।

दी बस्तर केयर फाउंडेशन की शुरआत कब हुई और फाउंडेशन के कार्यों को गति देने के लिए प्रारंभिक दौर में किन चुनौतियों का सामना आपको करना पड़ा?

 

नक्सलवाद की समस्या से जूझते बस्तर की भौगोलिक और सामाजिक परिस्थितियां पूरे छत्तीसगढ़ से अलग है। मैंने बस्तर की महिलाओं की स्थिति को करीब से जाना है। मैंने उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं, अशिक्षा, बेरोजगारी, पलायन और रूढ़िवादी परंपराओं से जूझते देखा। जागरूकता की कमी की वजह से वे यौन शोषण, घरेलु हिंसा, टोनही प्रताड़ना, बाल विवाह जैसी कुरीतियों का शिकार हो रही हैं। तभी मैंने सोचा कि एक संस्था बनाई जाये जिसके माध्यम से बस्तर के लोगों की भलाई के लिए काम किया जाये। इसलिए हमने 2013 में दी बस्तर केयर फाउंडेशन का गठन किया।

 

हमें शुरूआत में बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने में बहुत दिक्कतें आई। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बहुत जल्द किसी पर भरोसा नहीं करते। उनका भरोसा जीतने में हमें समय लगा। बस्तर में हम मासिकधर्म स्वच्छता जागरूकता को लेकर काम कर रहे हैं। जब 8 वर्ष पहले हमने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी उस समय इस विषय पर शहरी क्षेत्र की महिलाएं भी बात करने में शर्माती थीं। पीरियड को लेकर बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में कई प्रकार की भ्रान्तियां हैं। जब हम गांवों में उस विषय पर बात करते थे तब कई गांवों में हमें लोगों के काफी विरोध का सामना करना पड़ा। धीरे -धीरे जब उन्हें इसके महत्व का पता चला तो उन्होंने हमारा साथ दिया।

जीवन में प्रोफेशनल और पारिवारिक कार्यों में आने वाली कठिनाइयों को आप किस रूप में स्वीकारती हैं?

 

मै पेशे से पत्रकार हूं साथ ही सामाजिक कार्यकर्त्ता भी हूं। बस्तर में महिलाओं के लिए पत्रकारिता करना काफी चुनौतीपूर्ण है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक कार्य करना भी किसी तपस्या से कम नहीं है। अपनी बात को उनकी भाषा में उनके सामने रखना और खुद के लिए उनके मन में विश्वास पैदा करना काफी कठिन है। लेकिन प्रयास हमेशा रंग लाते हैं। इन सबसे परे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना भी इतना आसान नहीं है। चूंकि पतिदेव भी सीआईएसएफ में हैं और छत्तीसगढ़ से बाहर ही उनकी पोस्टिंग है इसलिए माता और पिता दोनों की जिम्मेदारी निभाते हुए अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य को गढ़ने का सारा दारोमदार मुझ पर है और मुझे खुद पर गर्व है कि अपनी प्रोफेशनल और पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन मैंने बखूबी किया है। इसलिए मै अक्सर खुद की पीठ भी थपथपा लेती हूं।

बस्तर के सुदूर ग्रामीण अंचलों में महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागृत करने के लिए आपकी क्या प्राथमिकताएं रहती हैं। उनकी बोली में संवाद कैसे स्थापित करती हैं?

 

बस्तर में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, अशिक्षा और जागरूकता की कमी की वजह से महिलाएं स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझ रही हैं। बस्तर में मासिकधर्म के दौरान स्वच्छता न रखने के कारण महिलाएं संक्रमण और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रही हैं। सबसे दुःखद पहलू यह है कि पीरियड की शुरुआत होते ही स्कूली छात्राएं ड्राप आउट हो रही हैं जो कि एक गंभीर विषय है। बस्तर की बेटी यदि पढ़ेगी नहीं तो बस्तर का सुनहरा भविष्य कैसे गढ़ेगी। हम बस्तर जिले के 250 ग्रामों में मासिकधर्म स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर चुके हैं और महिलाओं को निःशुल्क सेनिटरी पैड वितरित कर चुके हैं। इसके साथ ही ड्राप आउट हो चुकी स्कूली बच्चियों को हम फिर से स्कूल जाने प्रेरित कर रहे हैं। हम स्थानीय बोली गोंडी व हलबी में उनसे संवाद करते है।

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आप एक मीडिया पर्सनैलिटी भी है। मीडिया प्रोफेशनल के रूप में आपकी सक्रियता के बारे में जानना चाहेंगे?

 

मै जगदलपुर से प्रकाशित महिला मीडिया साप्ताहिक समाचार पत्र की प्रकाशक और सम्पादक हूं। मैं न सिर्फ महिलाओं की खबरें प्रकाशित करती हूं बल्कि उनके अधिकारों के लिए लड़ती भी हूं। महिलाओं के सामाजिक आर्थिक और मानसिक उत्थान के लिए कार्य करना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। हम शहर के सक्षम लोगों के सहयोग से पीड़ित महिलाओं की आर्थिक मदद करते हैं और कानूनी सहायता भी उपलब्ध करवाते हैं।

 

बस्तर केयर फाउंडेशन के अंतर्गत आपका फोकस किन कार्यों पर रहता है। बस्तर के किन क्षेत्रों में आपने फाउंडेशन के कार्यों को विस्तारित किया है?

 

दी बस्तर केयर फाउंडेशन बस्तर जिले में महिला सशक्तिकरण,शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण, पर्यावरण, जल संसाधन,ह्यूमन ट्रैफिकिंग, स्किल डेवलेपमेंट आदि विषयों पर लगातार काम कर रहा है। हमारी संस्था मासिकधर्म स्वच्छता जागरूकता विषय पर विगत 8 सालों से कार्य कर रही है। यह हमारी संस्था का ड्रीम प्रोजेक्ट है। बस्तर के सुदूर नक्सली क्षेत्रों में भी हमारी संस्था काम कर रही है।

बस्तर में कुपोषण भी एक बहुत बड़ी समस्या है। मां ही कुपोषित है तो बच्चा तो कुपोषित होगा ही। इस विषय पर हम लगातार काम कर रहे हैं। हमारी संस्था महिलाओं को उनकी बाड़ी उनकी रसोई, और खेतों में मौजूद प्रोडक्ट के सही संयोजन से पौष्टीक आहार बनाने उन्हें जागरूक कर रहे हैं। महिलाओं को सामाजिक कुरीतियों से बचने और कानूनी अधिकारों की जानकारी भी हम दे रहे हैं। अभी तक हम बस्तर जिले की लगभग 30 हजार महिलाओं और बालिकाओं को जागरूक कर चुके हैं।

 

मुझे समाज सेवा के लिए 2017 में नेशनल वीमेन एक्सीलेंस अवार्ड से नई दिल्ली में सम्मानित किया गया। स्थानीय स्तर पर भी कई अवार्ड मिले। मुझे बस्तर की पेडवूमन के नाम से भी जाना जाता है।

 

आजकल का मीडिया निष्पक्ष रूप से अपनी भूमिका नहीं निभा रहा है। एक वरिष्ठ मीडिया कर्मी के तौर पर मीडिया की भूमिका पर क्या कहना चाहेंगी?

 

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है। किसी भी राष्ट्र के विकास में मीडिया की अहम भूमिका है। जनता की आवाज़ को शासन प्रशासन तक पहुंचना ही मीडिया का लक्ष्य होना चाहिए। जब तक मीडिया निष्पक्ष नहीं होगा तब तक हुकूमरानों की मनमानियां चलती रहेंगी और जनता पिसती रहेगी। इसलिए हमें अपने पत्रकारिता के धर्म का पालन करना चाहिए।

किसी भी फाउंडेशन के कार्यों को संचालित करने के लिए आर्थिक सहायता राशि की जरूरत होती है। आप आर्थिक जरूरतों को कैसे पूरा कर पाती है। छत्तीसगढ़ शासन से कितना सहयोग मिलता है। शासन से क्या अपेक्षाएं हैं आपकी?

 

दी बस्तर केयर फाउंडेशन कई सालों से बस्तर में निशुल्क कार्य कर रहा है। जिले के प्रबुद्ध लोग और समाजसेवी हमारी सहायता करते हैं। जिला प्रशासन बस्तर के सहयोग से भी हम अपने कार्यों को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं। हम बस्तर को तराशना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि बस्तर पर नक्सलवाद का जो लाल धब्बा लगा है वह मिट जाये। इसलिए हम शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और रोजगार की दिशा में काम कर रहे हैं। हमारे कई प्रोजेक्ट हैं जो बस्तर की दशा और दिशा बदल सकते हैं। लेकिन शासन के सहयोग के बिना यह सम्भव नहीं है। मासिक धर्म स्वच्छता महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है इसके लिए सरकार को अलग से नीति बनानी चाहिए। चूंकि हम इस विषय पर बस्तर में 8 सालों में 250 ग्रामों में काम कर चुके हैं इसलिए हमें इसका अच्छा अनुभव है। हमारी सरकार से यही अपेक्षा है कि वे हमारी बात सुने और हमें सहयोग करे। हम मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम को पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में करना चाहते हैं। हम बस्तर में सेनिटरी नेपकिन का एक उद्योग लगाना चाहते हैं ताकि हम बस्तर की महिलाओं को कम मूल्य में अच्छी क्वालिटी के सेनिटरी पेड उपलब्ध करवा सकें।

आजकल विकसित भारत की ओर सबका ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। बस्तर के विकास की बात भी शासन की ओर से की जाती है। आप ज़मीनी स्तर पर बस्तर में बड़े पैमाने पर काम कर रही हैं। बस्तर को विकास के किस पड़ाव पर देखती हैं?

 

बस्तर के विकास की गाथा लिखी जा रही है। बस्तर बदल रहा है। बस्तर के चहूंमुखी विकास के लिए सरकार काम भी कर रही है। शासन की योजनाएं बहुत अच्छी हैं लेकिन जमीनी स्तर उनकी मॉनिटरिंग की जरूरत है। आज भी बस्तर के सुदूर अंचलों में आदिवासी मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, शुद्ध पेयजल, राशन, सड़क और रोजगार के अवसर तक उपलब्ध नहीं है। बस्तर की परिस्थियां अलग हैं इसलिए उसके लिए अलग से नीति बनानी होगी। सिर्फ भवन बनाना विकास नहीं है,जरूरी संसाधन उपलब्ध करवाने होंगे। बस्तर में यदि नक्सलवाद को खत्म करना है तो हर बच्चे तक शिक्षा पहुँचाना,रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना और ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करनी होंगी।

आप महिला सशक्तिकरण की एक मिसाल है। वास्तविक महिला सशक्तिकरण क्या है, इसे किस तरह परिभाषित करना चाहेंगी?

 

महिलाओं का आर्थिक,सामाजिक और मानसिक रूप से सुदृढ़ होना ही मेरी नजर में महिला सशक्तिकरण है। सिर्फ किताबों के पन्नों में महिलाओं के सम्मान और शौर्य की गाथा लिखने से महिला सशक्तिकरण नहीं हो जाता। किसी भी देश में आधी आबादी को उचित सम्मान और स्थान देना ही महिला सशक्तिकरण है। जब तक महिला अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हो जाती, सुरक्षित नहीं हो जाती और सुदृढ़ नहीं हो जाती तब तक महिला सशक्तिकरण की बातें व्यर्थ हैं। महिलाओं को पहले अपनी शक्ति पहचान कर खुद को काबिल बनाना होगा और खुद के लिए सम्मान पैदा करना होगा तभी हम महिलाएं हर चुनौती का सामना कर, रूढ़िवादी सोच से परे उठकर अपने सपनों के आसमान पर उड़ान भर सकती हैं।

 

आपके जीवन के क्या लक्ष्य हैं। क्या कुछ नया करना चाहती हैं?

 

जैसा कि मैंने आपको बताया कि बस्तर मेरी कर्मभूमि है। मै इसे संवांरना चाहती हूं। मैं बस्तर की सेवा करना चाहती हूं चाहे मैं समाज सेवा के माध्यम से करूँ, राजनीती के माध्यम से करूँ या पत्रकारिता के माध्यम से करूँ। मै चाहती हूं कि बस्तर को इसकी कला, संस्कृति, सांस्कृतिक धरोहर, पर्यटन और इसकी खूबसूरती के लिए विश्व में पहचान मिले। बस्तर की महिलाएं स्वस्थ, शिक्षित,सशक्त और स्वयंसिद्धा बनें। एक विकसित और शांत बस्तर ही मेरा सपना है। इसके लिए मै विगत कई वर्षो से कार्य कर रही हूं। वो दिन बहुत जल्द आएगा जिस दिन मेरे बस्तर की फिजाओं में अमन की बयार बहेगी और हर चेहरे पर मुस्कान होगी।

 

बस्तर की युवा पीढ़ी में आप क्या संभावनाएं देखती हैं। उनसे क्या कहना चाहेंगी?

 

बस्तर के युवा प्रतिभाशाली और मेहनती है। अपनी प्रतिभा के दम पर युवाओं ने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है। बस्तर के युवा कम संसाधनों में भी अपनी लक्ष्य तक पहुँचने की ताकत रखते हैं, बस जरूरत है उन्हें उचित प्लेटफार्म उयलब्ध करवाने की। यदि बस्तर के युवाओं के लिए उच्च व तकनीकी शिक्षा, खेल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अच्छी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी जाएं तो निश्चित तौर पर ये युवा बस्तर को खुशहाल बना देंगे।

 

मैं बस्तर के युवाओं को यही कहना चाहूंगी कि अपनी क्षमताओं और मेहनत पर भरोसा रखें। बड़े सपने देखें और उन्हें सच करने की दिशा में प्रयास शुरू कर दें। विश्वास रखिये रास्ते खुद ब खुद बनते चले जायेंगे और आपको मंजिल तक पहुंचाएंगे।

 

पर्यटकों को बस्तर कितना आकर्षित करता है पर्यटन की दृष्टि से बस्तर में सबसे बड़ी विशेषता आप क्या मानती हैं?

 

बस्तर अपनी कला, संस्कृति,परंपरा और खूबसूरत प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात है। बस्तर जिले में कई जलप्रपात मौजूद हैं जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।बस्तर में चित्रकोट जलप्रपात के अलावा तीरथगढ़, तामड़ा घूमड़, मेन्द्रीघूमर, चित्रधारा, मांडवा और बिजाकसा जलप्रपात अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध हैं। कोटमसर गुफ़ा में अंधी मछलियां पाई जाती हैं। बस्तर का जरा जरा अपने खूबसूरती के लिए मशहूर है उसे शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है।

बस्तर की सबसे विशेषता बस्तर का दशहरा है जो कि विश्व प्रसिद्ध है। 75 दिनों तक चलने वाले 600 साल पुराने बस्तर दशहरे की इस परंपरा को 12 से अधिक अनूठी रस्मों के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि हर साल बस्तर दशहरा देश-विदेश के हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

 

आप राजनीति में भी हैं। इसमें आप अपने लिए क्या संभावनाएं देखती हैं

 

राजनीती धरातल पर बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम है। राजनीति मानव सेवा का एक ज़रिया है। यदि सही मायने में पूरी ईमानदारी के साथ राजनीति की जाये तो देश को विकास के शिखर तक पहुँचाया जा सकता है।

 

चूंकि मेरा क्षेत्र भी समाज सेवा है। इसलिए मैंने राजनीति को चुना। मेरा राजनीति में आने का उद्देश्य समाज के वंचितों और शोषितों की भलाई के लिए काम करना है। मैं महिलाओं को सशक्त बनाकर और युवाओं को सही दिशा देकर विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना में अपनी छोटी सी भूमिका निभाना चाहती हूं।

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