Monday, June 30, 2025
  • About Us
Corporate Impact
  • Home
  • Cover Story
  • Personalities Impact
  • Videos
  • PDF Issues
Hindi
No Result
View All Result
Corporate Impact
Home Cover Story

फिल्म भूलन द मेज़ से मिली राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान – मनोज वर्मा

admin by admin
April 1, 2023
in Cover Story
0
फिल्म भूलन द मेज़ से मिली राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान – मनोज वर्मा

मनोज वर्मा 

 

मनोज वर्मा छत्तीसगढ़ी सिनेमा का एक स्थापित नाम है। अपनी पहली फिल्म बैर से लेकर नवीनतम फिल्म भूलन द मेज़ तक उन्होंने अपने सिनेमा के सफर में हमेशा कुछ नया करने की कोशिश की है। उनकी नई फिल्म भूलन द मेज़ को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मनोज वर्मा एक प्रतिभाशाली निर्देशक हैं और अपनी फिल्मों की कथावस्तु के साथ पूरा न्याय करते हैं। उनकी फिल्में देखते वक्त दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और उनकी फिल्मों से दिल से जुड़ जाते हैं। छत्तीसगढ़ फिल्मों के आधार स्तंभ मनोज वर्मा से गुरबीर सिंघ चावला की विशेष बातचीत।

 

 

छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति और संगीत अद्भुत है

 

छत्तीसगढ़ी सिनेमा के क्षेत्र में आपका एक स्थापित नाम है। आपकी पहली फिल्म बैर से अब तक का सफर कैसा रहा?

अपनी पहली फिल्म बैर से लेकर भूलन द मेज़ तक का सफर हमेशा कुछ नया करने और सीखने का रहा। मेरी पहली फिल्म बैर एक प्रयोगात्मक फिल्म थी। रायपुर में स्वप्निल स्टूडियो मैंने शुरू किया था। उस दौरान फिल्मों के पोस्ट प्रोडक्शन के लिए रायपुर से बाहर जाकर निर्माताओं को काम करना पड़ता था। स्वप्निल स्टूडियो को पोस्ट प्रोडक्शन के हिसाब से मैंने सर्वसुविधायुक्त बनाया है। फिल्म बैर के पोस्ट प्रोडक्शन देखकर फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों को यह विश्वास हो गया कि रायपुर में उसी गुणवत्ता के साथ काम हो सकता है जैसे महानगरों में होता है। फिल्म बैर के बाद मेरी कमर्शियल फिल्में आई। बैर फिल्म देखने के बाद सतीश जैन जी ने फिल्म मया बनाई। यहीं से एचडीबी का भी एक नया प्रचलन शुरू हुआ। महु दीवाना तहु दीवानी फिल्म से मेरी पहचान निर्देशक के रूप में बनी। महु दीवान तहु दीवानी, टेटकू राम, दो लफाड़ू कमर्शियल फिल्में थी जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया। मेरी तमन्ना थी कि समानान्तर सिनेमा पर भी एक फिल्म बनाई जाए। इसी दौरान लेखक संजीव बक्शी जी से मुलाकात हुई और फिल्म की कथावस्तु पर चर्चा हुई और एक कलात्मक फिल्म भूलन द मेज का निर्माण हुआ जो आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित फिल्म के रूप में सबके सामने है।

ऐसा कहा जाता है कि समानान्तर या कलात्मक सिनेमा को बहुत कम बजट में बनाया जाता है। उसमें सिर्फ पटकथा पर फोकस किया जाता है, कास्ट में नहीं। भूलन दे मेज़ के लिए आपको बजट में कितना समझौता करना पड़ा?

भूलन द मेज़ की पटकथा कलात्मक सिनेमा की है लेकिन इस फिल्म के निर्माण में हमने बजट को लोकर कोई समझौता नहीं किया। इस कलात्मक फिल्म को कमर्शियल फिल्म की तरह बनाया है। तकनीकी गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं किया। जिस सीन की जैसी डिमांड थी हमने उसी तरह फिल्मांकित किया। इस फिल्म के निर्माण के दौरान बजट बढऩे के कारण काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन फिल्म के किसी भी पक्ष को लेकर बजट में हमने समझौता नहीं किया। इस फिल्म के निमार्ण में विभिन्न कार्यों के लिए अनुभवी टीम ने काम किया है। इस फिल्म की पटकथा सशक्त है वहीं इसका संगीत कर्णप्रिय है। इसमें काम करने वाले सभी कलाकारों ने अपने-अपने पात्रों को अपनी अभिनय दक्षता से जीवंत कर दिया है। सभी के सहयोग से यह एक यादगार फिल्म बन गई है जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है।

 

छत्तीसगढ़ी सिनेमा अभी विकास के किस दौर से गुजर रहा है, भविष्य की कैसी संभावनाएं आप देखते हैं?

छत्तीसगढ़ी सिनेमा में काफी परिपक्वता आ गई है। निरतंर फिल्मों का निर्माण हो रहा है, कुछ फिल्में सफल हुई और कुछ असफल भी हुई है। फिल्मों के निर्माण की निरंतरता ने फिल्मकारों और कलाकारों को नए अनुभव दिए हैं और सबने अपने अनुभवों से सीखा है। छत्तीसगढ़ी सिनेमा का तकनीकी पक्ष भी बहुत मजबूत हुआ है, हमारा लोक संगीत भी बहुत समृद्ध है, फिल्मों के निर्माण की शुरूआत से लेकर अंत तक सभी काम पूरी गुणवत्ता के साथ प्रदेश में ही हो रहे हैं। शूटिंग के लिए अच्छी लोकेशन्स भी है। भोजपुरी और हिन्दी फिल्मों की शूटिंग भी छत्तीसगढ़ में हो रही है। छत्तीसगढ़ी फिल्में देखने वाले दर्शकों की संख्या में बी बढ़ोतरी हुई है। छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए पटकथा में गंभीरता से काम हो रहा है ताकि फिल्म निर्मित होने के बाद उसकी विषयवस्तु के साथ पूरा न्याय हो सके।

आपकी फिल्म भूलन द मेज़ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है जो प्रदेश के लिए गौरव की बात है। यह फिल्म जब तैयार हुई तो उसे देखकर आपको लगा था कि यह फिल्म बहुत चर्चित और पुरस्कृत होगी?

हमने किसी पुरस्कार को नज़र में रखते हुए यह फिल्म नहीं बनाई थी बस यही कोशिश थी कि इसकी विषयवस्तु पर अच्छा काम हो और यह फिल्म कलात्मक और कमर्शियल दोनों पहलुओं के सम्मिश्रण से एक सम्पूर्ण फिल्म बने और दर्शकों को आकर्षित करे। हम यह कह सकते हैं कि हमारी यह कोशिश कामयाब हुई। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया। हम इस मिथ्य को तोडऩा चाहते थे कि एक ही तरह की फिल्में दर्शक पसंद करते हैं और एक ही तरह की फिल्में छत्तीसगढ़ी सिनेमा की पहचान है।

 

हमने इस फिल्म से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की पुरानी परिपाटी को तोड़ा और यह साबित किया कि लीक से हटकर बनाई गई फिल्म भी सफलता हासिल कर सकती है। यह मिथ्य भी हम तोडऩा चाहते थे कि छत्तीसगढ़ी सिनेमा सिर्फ छत्तीसगढ़ के दायरे में ही सीमित होकर रह जाती है उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकारा नहीं जाता। भूलन द मेज कलात्मक पटकथा पर आधारित कमर्शियल फिल्म है जिसमें भव्य स्तर की फीचर फिल्म की तरह कहानी, गीत-संगीत और मनोरंजन है। यह कलात्मक नज़रिए से बनाई गई एक कमर्शियल फिल्म है। संजीव बख्शी जी के उपन्यास भूलन कांदा पर यह फिल्म आधारित है।

यह फिल्म आपके प्रोफेशनल कैरियर के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस पुरस्कार ने राष्ट्रीय स्तर पर आपको नई पहचान दी है। इस पहचान को किस तरह से कायम रखना चाहेंगे?

इस फिल्म ने यह साबित किया है कि आप अपने ही राज्य में एक ऐसी सफल फिल्म निर्मित कर सकते हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत हो सकती है। इस पुरस्कार से जहां मेरा आत्मविश्वास दोगुना हुआ है वहीं यह दायित्व भी मुझ पर है कि भविष्य में और फिल्में दर्शकों के लिए प्रस्तुत कर सकूं। इस फिल्म ने यह भी साबित किया है कि फिल्म की सफलता और राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए सशक्त कथानक और निर्देशन होना चाहिए।

 

ऐसा कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ सिने इंडस्ट्री में प्रोफेशनलिज़्म की कमी है। आपने कई फिल्में बनाई हैं, आपका क्या अनुभव रहा है?

फिल्म इंडस्ट्री के प्रारंभिक दौर में लोगों ने शौकिया तौर पर फिल्में बनाई। उन्हें फिल्म निर्माण के विभिन्न पहलुओं की जानकारी नहीं थी। सारे काम शौकिया तौर पर होते रहे। अब यह परिदृश्य बदल चुका है। पन्द्रह-बीस सालों के काम से फिल्म के विभिन्न पक्ष से जुड़े लोगों ने प्रैक्टिकल रूप से बहुत कुछ सीखा है और अब हमारी इंडस्ट्री में प्रोफेशनलिज्म के साथ काम हो रहा है।

ऐसी भी चर्चा होती है कि छत्तीसगढ़ी सिने इंडस्ट्री में समय का प्रबंधन नहीं होता। प्रोफेशनल होने के बाद भी समय पर कार्य नहीं हो पाते?

हमारी इंडस्ट्री में समय प्रबंधन की शिकायतें इसलिए आती है कि फिल्म मेकिंग की शुरूआत से ही पूरा होम वर्क नहीं होता। फिल्म मेकिंग के विभिन्न पक्षों में बराबर सामंजस्य नहीं हो पाने के बाद कार्यों में अनावश्यक विलम्ब होता है। जहां तक मेरे प्रोडक्शन की बात है इस तरह की दिक्कत कभी नहीं आई।

 

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण के लिए राज्य के बाहर के कलाकारों पर निर्भरता कितनी है। यहां के कलाकारों में कितनी परिपक्वता आई है?

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण के लिए बाहर के कलाकारों पर निर्भरता बहुत ही कम है। यहां के कलाकार बहुत प्रतिभावान हैं। यह फिल्म के निर्देशक पर निर्भर करता है कि कलाकारों से कैसा काम करवाना है। भूलन द मेज में हमने बॉलीवुड के कुछ कलाकारों को लिया है क्योंकि फिल्म की प्लानिंग के समय से ही हमारा प्रयास था कि हमारी फिल्म भले ही रीजनल हो, परन्तु इसे राष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाना है।

 

छत्तीसगढ़ी सिनेमा के विकास के लिए छत्तीसगढ़ शासन से कैसी अपेक्षाएं हैं आपकी?

छत्तीसगढ़ी सिनेमा में विकास की अपार संभावनाएं हैं। जहां फिल्मों के निर्माण की संख्या में वृद्धि हुई है वहीं दर्शकों की संख्या में भी बहुत बढ़ोतरी हुई है। मल्टीप्लेक्स में छत्तीसगढ़ी फिल्में देखने वालों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। पन्द्रह-बीस सालों में पहली बार यह प्रयास हुआ है कि छत्तीसगढ़ शासन ने फिल्म नीति बनाई है मेरा मानना है कि यह बहुत सार्थक साबित हो सकती है।

छत्तीसगढ़ की कला-संस्कृति और लोक संगीत को फिल्मों में किस तरह से प्रदर्शित किया जा सकता है?

छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और लोक संगीत अद्भुत है। यहां की कला-संस्कृति और संगीत हमारे लिए एक अनमोल खजाना है। फिल्मों के संगीत के लिए कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं है। यहां का लोक संगीत हमारी फिल्मों का एक सशक्त पक्ष है।

 

छत्तीसगढ़ी फिल्मों में यहां की लोक संस्कृति और संगीत को प्रमोट करना यहां के निर्माता-निर्देशकों की जिम्मे्दारी है। छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति पर हमें गर्व होना चाहिए। सिनेमा के माध्यम से ही हम यहां की लोक कला-संस्कृति और संगीत को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर सकते हैं।

 

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के दृश्यों में अति नाटकीयता का प्रदर्शन किया जाता है। सहजता की कमी दिखाई देती है। एक सफल निर्देशक होने के नाते आपका क्या कहना है?

मुख्यधारा के सिनेमा की तुलना में जहां तक प्रादेशिक सिनेमा की बात करें उसमें नाटकीयता का ज्यादा प्रभाव होता है। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि प्रादेशिक फिल्मों के कलाकार लोकमंच और थियेटर से जुड़े होते हैं। इसलिए वे अपने-अपने पात्रों में लाउड हो जाते हैं। सिनेमा और थियेटर दोनों अलग माध्यम हैं और दोनों की जरूरतें अलग होती है। रीजनल फिल्मों में दर्शक पात्रों को नाटकीयता में पसंद भी करते हैं।

 

ओटीटी प्लेटफार्म पर छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रदर्शन से क्या फायदे होंगे?

ओटीटी प्लेटफार्म पर हमारी फिल्मों के आने से इसके प्रदर्शन का दायरा वैश्विक स्तर का हो जाएगा। अभी छत्तीसगढ़ी फिल्मों के प्रदर्शन का दायरा बहुत छोटा है। छत्तीसगढ़ के चालीस सेंटर में ही फिल्मों का प्रदर्शन कर पाते हैं। बाहर के दर्शक हमारी फिल्में देख नहीं पाते इससे फिल्मों के विकास की गति प्रभावित होती है। हमारी फिल्मों के ओटीटी पर प्रदर्शन से इसका दायरा वैश्विक हो जाएगा और यहां के निर्देशकों और कलाकारों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

ShareTweetSend
Previous Post

उदारता के आधुनिक दूत – सोनू सूद

Next Post

One has to work hard without making excuses to achieve success.

Next Post
One has to work hard without making  excuses to achieve success.

One has to work hard without making excuses to achieve success.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RECOMMENDED NEWS

SELF-LOVE IS THE BEST LOVE  STAY POSITIVE AND KEEP SMILING

SELF-LOVE IS THE BEST LOVE STAY POSITIVE AND KEEP SMILING

2 years ago
I never stopped learning and working on myself  :Reema Gautam

I never stopped learning and working on myself :Reema Gautam

2 years ago
RESEARCH & INNOVATION: MUMBAI SOMAIYA VIDYAVIHAR’S INTERVENTIONS

RESEARCH & INNOVATION: MUMBAI SOMAIYA VIDYAVIHAR’S INTERVENTIONS

3 years ago
To work for betterment of society is my primary aim

To work for betterment of society is my primary aim

3 months ago

BROWSE BY CATEGORIES

  • Achievers Impact
  • Art and culture: impact international
  • Authors impact
  • Book in News
  • Budget Impact
  • chef's impact
  • Cine impact
  • Cine Insight
  • Cine Personality
  • CORPORATE FOCUS
  • Corporate impact
  • Corporate inside
  • CORPORATE INTERVIEW
  • Corporate News
  • Corporate Personality
  • Cover Story
  • ECONOMY IMPACT
  • EDUCATION IMPACT
  • Education Insight
  • EMOTIONAL INTELLIGENCE
  • Enterpreneurs impact
  • Face to Face
  • Fashion and Lifestyle
  • Fitness first
  • Health and Wellness
  • Health Care
  • HEALTH IMPACT
  • Historical facts
  • Impact International
  • Impact interview
  • Insight international
  • INSIGHT TALK
  • Legal impact
  • Media entrepreneur
  • Music world
  • News Impact
  • Personalities Impact
  • Personality INSIGHT
  • Positive impact
  • PRIME PERSONALITY
  • Simply Two
  • Simply You
  • Social impact
  • Sports Personality
  • State Impact
  • Tech Personality
  • Travel & tourism
  • Uncategorized
  • View point
  • WE INSIGHT
  • Women Achievers
  • Young ACHIEVERS
  • अचीवर इनसाईट
  • दो बाते
  • विमन प्राइड

BROWSE BY TOPICS

2018 League Balinese Culture Bali United Budget Travel Champions League Chopper Bike Doctor Terawan Istana Negara Market Stories National Exam Visit Bali

POPULAR NEWS

  • COVER STORY

    COVER STORY

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • Believe in your ability to make positive changes

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • I attribute my success to relentless hard work

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • Success is a journey persistence, hard work and dedication are keys of that

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • I BELIEVE TO LIVE IN THE PRESENT MOMENT

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Contact Us

P. +91 75818 02616
P. +91 91792 61660
Email: editor@digicorporate70.com

Recent News

  • India : The Diabetes Capital of the World Why Your Diet Matters More Than You Think
  • Brilliant Awards Season 3 Honoring Excellence and Social Impact
  • Sunil Balyan : A Journalist, A Researcher, and Also a Guide Through Numbers

Archives

  • June 2025
  • May 2025
  • April 2025
  • March 2025
  • February 2025
  • January 2025
  • December 2024
  • November 2024
  • October 2024
  • September 2024
  • August 2024
  • July 2024
  • June 2024
  • May 2024
  • April 2024
  • March 2024
  • February 2024
  • January 2024
  • December 2023
  • November 2023
  • October 2023
  • September 2023
  • August 2023
  • July 2023
  • June 2023
  • May 2023
  • April 2023
  • March 2023
  • February 2023
  • January 2023
  • December 2022
  • November 2022
  • October 2022
  • September 2022
  • August 2022
  • June 2022

Recent News

India : The Diabetes Capital of the World Why Your Diet Matters More Than You Think

India : The Diabetes Capital of the World Why Your Diet Matters More Than You Think

June 30, 2025
Brilliant Awards Season 3 Honoring Excellence and Social Impact

Brilliant Awards Season 3 Honoring Excellence and Social Impact

June 13, 2025
  • About Us

Copyright © 2022 by digicorporate70.com

No Result
View All Result
  • Home
  • Cine Insight
  • Cover Story
  • Fashion and Lifestyle
  • Health and Wellness
  • Impact International
  • News Impact
  • Personalities Impact
  • Simply Two
  • Simply You
  • State Impact
  • Women Achievers
  • PDF Issues

Copyright © 2022 by digicorporate70.com