कवर स्टोरी
पंजाब से मुंबई तक का सफर सोनू सूद के लिए कोई आसान सफर नहीं था। कई पड़ाव बदले, शहर बदले, लोग बदले लेकिन सोनू सूद नहीं बदले सोनू सूद का नाम आज उनके परोपकारी कार्यों के कारण आसमान की ऊंचाइयों को स्पर्श कर रहा है। उनकी दरियादिली और जनहित के कार्यों से प्रभावित होकर स्पाइस जेट विमान कंपनी ने अपनी एयरक्राफ्ट में उनकी तस्वीरों की आकर्षक पेंटिंग्स करवाई है। जरूरतमंद लोगों के लिए वे मसीहा बन चुके हैं। सोनू सूद के चमत्कारिक व्यक्तित्व से आज सभी प्रभावित हैं और इंसानियत के लिए किए जा रहे उनके सतत् प्रयासों की सराहना राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। सोनू सूद ने अपनी कला और व्यवसाय से आज तक जो भी कमाया है वे पीडि़तों के दु:ख दर्द को दूर करने में खर्च कर रहे हैं बिना इस बात की परवाह किए कि जो भी राशि वे जरूरतमंद लोगों के लिए खर्च कर रहे हैं वह राशि कभी वापस नहीं होगी। लोगों से मिल रही दुआएं ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है।
पंजाब से मुंबई तक का सफर सोनू सूद के लिए कोई आसान सफर नहीं था। कई पड़ाव बदले, शहर बदले, लोग बदले लेकिन सोनू सूद नहीं बदले। उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति और हर चुनौती को एक नए अवसर में बदलने की अपनी कार्य दक्षता और कला से निरंतर अपने आप को निखारा। सोनू सूद जब मुंबई आए तो कोई पूंजी नहीं थी। एक लंबा संघर्ष सामने था। संघर्ष के शुरुआती दिनों में हर एक दिन एक नया इम्तिहान होता था।
कैरियर के पहले मोड़ में मुंबई की सड़कों ने उन्हें खूब दौड़ाया। वे चलते रहे, अलग-अलग जगह ऑडिशंस देते रहे और इंतजार करते कि कोई ऑडिशंस उनके अभिनय कैरियर के द्वार खोलेगा पर ऐसा हुआ नहीं। उनके तमाम ऑडिशंस रिजेक्ट कर दिए गए। फिर भी उनकी हिम्मत नहीं टूटी। कहीं ना कहीं एक उम्मीद की किरण थी माता पिता का आशीर्वाद था कि तमाम प्रतिकूल परिस्थितियां सोनू सूद के हौसले को खत्म नहीं कर पाई।
ऑडिशंस का दौर निरंतर चलता रहा। उनके लिए कैरियर का रास्ता खोला रीजनल सिनेमा ने। उन्हें तमिल फिल्म में पहला अवसर मिला। इस फिल्म में उनके सराहनीय कार्य ने दक्षिण भाषा की तमिल तेलुगू और कन्नड़ फिल्मों के रास्ते खोल दिए। यह भी एक अजीब संयोग है कि कैरियर की शुरुआत करने के लिए सोनू सूद बॉलीवुड में कड़ी मेहनत कर रहे थे लेकिन उनकी कला को पहली दस्तक तमिल फिल्म ने दी। दक्षिण भाषा की कई फिल्मों में उन्होंने काम किया और हर नकारात्मक और सकारात्मक भूमिका में सोनू सूद ने अपनी अभिनय दक्षता साबित की।
दक्षिण भाषा की फिल्मों में मिली बड़ी सफलता ने बॉलीवुड की फिल्मों के लिए उन्हें स्वीकारा। इसका एक प्रमुख कारण यह भी था दक्षिण भाषा की फिल्मों में वे अपना टैलेंट दिखा चुके थे। यह भी एक सच्चाई है कि एक अच्छे एक्टर के लिए भाषा कोई सीमा नहीं होती। एक कलाकार की भूख तो हमेशा अच्छे किरदार की होती है। सोनू सूद ने अपनी एक्टिंग से यह साबित कर दिखाया फिल्मों की भाषा कोई भी हो वे एक उम्दा एक्टर है। सोनू सूद ने पहली हिंदी फिल्म शहीद ए आजम भगत सिंह की। यह फिल्म वर्ष 2002 में प्रदर्शित हुई थी और इसमें शहीद ए आजम भगत सिंह का किरदार उन्होंने अपनी अभिनय कला से जीवंत कर दिया था।
सोनू सूद ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत से ही विविध भूमिकाएं अभिनीत की। यह भी एक महत्वपूर्ण पहलू है कि वह किसी एक फे्रम में कैद नहीं हुए। फिल्मों के लिए जहां उन्होंने सकारात्मक भूमिकाएं अभिनीत की वहीं नकारात्मक भूमिकाओं में भी बखूबी अभिनय किया। यही एक सच्चे एक्टर की पहचान और परीक्षा होती है कि वह किसी भी तरह की भूमिका के साथ न्याय कर सके।
उन्हें नेगेटिव रोल्स के भी कई अवार्ड हासिल हुए। वर्ष 2009 में तेलुगू फिल्म ‘अरुंधति’ में सर्वश्रेष्ठ खलनायक का अवार्ड हासिल हुआ। हिंदी फिल्म ‘दबंग’ में नकारात्मक रोल के लिए वर्ष 2010 में उन्हें आईफा अवार्ड मिला। वर्ष 2012 में तेलुगू फिल्म ‘जुलए’ में नेगेटिव रोल के लिए पुरस्कृत किया गया। उनकी सर्वाधिक चर्चित फिल्मों में से ‘युवा’ 2004, ‘आशिक बनाया आपने’ 2005, ‘अशोक’ 2006, ‘जोधा अकबर’ 2008, ‘अरुंधति’ 2009, ‘डूकुडू’ 2011, ‘शूटआउट एट वडाला’ 2013, ‘हैप्पी न्यू ईयर’ 2014, ‘कुंग फू योगा’ 2017 और ‘सिंबा’ 2018 फिल्में शामिल हैं। अपनी काबिलियतों को नई ऊंचाइयां देते हुए सोनू सूद ने वर्ष 2016 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी शक्ति सागर प्रोडक्शन्स स्थापित की। उन्होंने इस कंपनी का नाम अपने पापा स्वर्गीय शक्ति सागर सूद को समर्पित करते हुए रखा।
उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में महत्वपूर्ण किरदार निभाए। ‘शहीदे आजम भगत सिंह’ 2002, ‘युवा’ 2002, ‘आशिक बनाया आपने’ उनकी यादगार फिल्में है। सोनू सूद के व्यक्तित्व की कई विशेषताएं हैं वे जो भी काम करते हैं पूरे समर्पण से करते हैं। अभिनय हो या समाज सेवा दोनों क्षेत्रों में अपने कार्यों से उन्होंने लोगों का दिल जीता।
पिछले वर्ष वैश्विक रूप से आए कोरोना संकट में भारत भी बेहद प्रभावित हुआ। तमाम कठिन परिस्थितियों और लोगों की सेहत को देखते हुए सरकार ने संपूर्ण लॉकडाउन का निर्णय ले लिया। ऐसे निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हुए जो अपनी रोजी-रोटी के लिए अपने गांव से दूर महानगरों में अस्थाई रूप से जीवनयापन कर रहे थे।
लॉकडाउन की अचानक घोषणा से ऐसे लोग तमाम तरह की परेशानियों से घिर गए और इनके आगे जीवन का संकट उत्पन्न हो गया। जरूरतमंद लोगों को राहत देने के बदले देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां अपनी जिम्मेदारियों से विमुख होकर एक दूसरे पर दोषारोपण में जुट गए। यह चर्चा होने लगी की पीडि़त लोगों को राहत देने का काम सत्तारूढ़ पार्टी का या अन्य पार्टियों का है। जब इंसान की जिंदगी बचाना जरूरी हो तो यह सोचना बेमानी हो जाता है कि लोगों का जीवन बचाने का काम किस पार्टी का है।
ऐसे कठिन समय में केवल इंसानियत सर्वोपरि होती है। एक दरिया दिल इंसान होने की मिसाल सोनू सूद ने दी। अपनी टीम के साथ मिलकर लॉकडाउन में घर से बेघर हुए लाखों लोगों को उन्होंने उनके भोजन की व्यवस्था के साथ परिवहन की सुविधा उपलब्ध करवाई उन्हें उनके गांव कस्बों तक पहुंचाया। ऐसे लाखों लोगों की दुआएं आज सोनू सूद के साथ हैं। सोनू सूद के ऐसे दरिया दिल कार्यों की तारीफ करने की बजाय कुछ अपरिपक्व लोग इस बात पर भी सवाल उठाते रहे कि इतने सारे सामाजिक कार्यों के लिए सोनू सूद के पास आर्थिक आधार कहां से आ रहा है।
सोनू सूद ने इस तरह के सवालों का जवाब अपने सामाजिक कार्यों को और विशाल करते हुए दिया। यह भी गौर करने वाली बात है कि स्वयं सोनू सूद विभिन्न डिजिटल प्लेट फॉम्र्स के जरिए जरूरतमंद लोगों से जुड़े हुए हैं और शिक्षा रोजगार और सेहत के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को निस्वार्थ रूप से सहायता पहुंचा रहे हैं। उन्होंने सामाजिक कार्यों से आज लोग इतने प्रभावित हैं कि दक्षिण भारत में रहने वाले लोगों ने उनके नाम का मंदिर भी बनवा दिया। उन्हें उदारता का आधुनिक दूत कहा जा सकता है। जुलाई 2020 में कोरोना संकट के दरमियान कजाकिस्तान में फंसे 1500 भारतीय छात्राओं को अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट से भारत वापस लाकर उनके घरों तक सकुशल पहुंचाने का पुनीत कार्य किया। समाज सेवा को समर्पित उनके ऐसे अनगिनत कार्य हैं जिसके कारण उन्हें रियल लाइफ हीरो कहा जाता है।
सोनू सूद ने दक्षिण भारत की भाषाओं की फिल्मों से अपना कैरियर शुरू करके बॉलीवुड में शीर्ष तक पहुंचे। हिंदी फिल्मों के नए प्रोजेक्ट्स पर वे इन दिनों काम कर रहे हैं। सोनू सूद को हिंदी फिल्म ‘शोले’ और ‘जंजीर’ बहुत पसंद है। हिंदी सिनेमा में कई स्थापित निर्देशकों के साथ उन्होंने काम किया है। बॉलीवुड के निर्देशक फराह खान और रोहित शेट्टी के साथ काम करना उन्हें अच्छा लगता है। यह दोनों ही उनके पसंदीदा निर्देशकों में आते हैं।
सोनू सूद ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने के बजाय उन्होंने अभिनय के क्षेत्र को चुना। उन्हें अंदर से आभास था कि उन्हें इंजीनियरिंग के क्षेत्र से अलग कुछ कर दिखाना है। एक अभिनेता के गुण उनके अंदर थे। अपनी अंतरात्मा की आवाज उन्होंने सुनी और अपने प्रोफेशनल कैरियर की दिशा तकनीकी क्षेत्र से बदलकर एक्टिंग में आ गए। उन्हें यह पता था कि एक्टिंग के क्षेत्र में प्रोफेशनल कैरियर में हमेशा स्थायित्व नहीं रहता।
आर्थिक संपन्नता तक पहुंचने के लिए आर्थिक स्थायित्व बना रहना आवश्यक होता है। इसे भी उन्होंने एक चुनौती के रूप में लिया और फिल्मों से होने वाली आय से व्यवसाय के दूसरे रास्ते भी खोलें और अपना आर्थिक आधार अपनी तमाम जिम्मेदारियां निभाते हुए मजबूत करते हैं। जहां तक मानवीय प्रवृत्ति की बात है पैसा कमाने के बाद व्यक्ति उसे अपने और अपने परिवार पर खर्च करता है।
सोनू सूद इस बात की मिसाल और सबसे अलग है कि उन्होंने अपनी कला और व्यवसाय से अर्जित आय को कोरोना संकट के दौरान जरूरतमंद लोगों को राहत पहुंचाने और उन्हें नया जीवन देने के लिए खर्च किया और दरियादिली का यह सिलसिला निरंतर जारी है। गंभीर रोगों से पीडि़त मरीजों की शल्य चिकित्सा भी उन्होंने अस्पतालों में करवाई अपने कार्यों के कारण सोनू सूद एक व्यक्ति नहीं ऐसी परोपकारी संस्था बन चुके हैं जिनकी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित हो चुकी है और उनके परोपकारी कार्यों को सम्मानित करते हुए विमान कंपनी ‘स्पाइस जेट’ ने उनकी तस्वीरें और कार्यों की पेंटिंग अपने हवाई जहाजों में करवाई है यह एक बहुत बड़ा सम्मान है।
सोनू सूद ने देश के जरूरतमंद लोगों की सेहत ठीक रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘इलाज इंडिया’ की मुहिम शुरू की है। इसके तहत वे पीडि़त लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं निशुल्क रूप से उपलब्ध करवाएंगे और विशेषकर इस मुहिम में विशेष कमजोर बच्चों की सेहत ठीक करने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। आज मानवता की सेवा के लिए जो भी संस्कार उन्हें मिले हैं उसे वे अपने माता-पिता का आशीर्वाद मानते हैं और अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देते हैं। सोनू सूद का कहना है ”मेरे माता-पिता ने हमेशा मुझे यह प्रेरणा दी कि आपको जितनी सफलताएं हासिल होंगी समाज के प्रति, मानवता के प्रति आपकी जिम्मेदारियां भी उतनी बड़ी होती जाएंगी। उनकी यह प्रेरणा हमेशा मानवता के प्रति अपने दायित्वों का आभास करवाती है। आपकी सफलता और सामाजिक कार्यों के प्रति हमेशा संतुलन बना रहना चाहिए। आपके नेक कार्य ही आपकी पहचान है ।”
मुंबई में संघर्ष के दिनों के दौरान मम्मी जी के लिखे पत्र उनका संबल हुआ करते थे। अपने मम्मी को याद करते हुए वे कहते हैं ”आज भी उनके पत्र मेरे पास है और मेरे लिए अनमोल है। जब भी उनसे बात करनी होती है उनके पत्रों को पढ़ता हूं और उन्हें अपने आसपास महसूस करता हूं। आज मम्मी इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी शिक्षा उनके संस्कार उनके पत्र मेरे पास हैं जिनसे मुझे हमेशा नई ऊर्जा मिलती है। ”
सोनू सूद ने ‘इलाज इंडिया कैंपेन’ के साथ-साथ रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए ‘प्रवासी रोजगार ऐप’ भी शुरू किया है जिसके तहत रोजगार से वंचित हो चुके लोगों के लिए उनकी काबिलियत के अनुसार उन्हें रोजगार उपलब्ध करवाया जा सके। सोनू सूद कहते हैं ”जब लोगों के चेहरे पर मैं मुस्कान देखता हूं और मेरे कार्यों के प्रति उनकी कृतज्ञता देखता हूं तो बहुत आत्मिक संतुष्टि की अनुभूति होती है कि निराश लोगों के जीवन में खुशी और नई आशा के संचार के लिए मैं सकारात्मक कार्य कर पा रहा हूं।”
लोग अपने सपनों को साकार करने में सारा जीवन लगा देते हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि ईश्वर और अपने माता-पिता के आशीर्वाद ने मुझे इस काबिल बनाया कि मैं निराश हो चुके लोगों के सपने को वास्तविकता में बदलने में अपना योगदान दे पा रहा हूं। सोनू सूद के कैरियर की सफलता में उनकी पत्नी सोनाली का बहुत बड़ा योगदान रहा है। कोरोना के संकट काल में सोनू सूद के जनकल्याणकारी कार्यों को अच्छे से करने के लिए उन्हें हमेशा सोनाली का सहयोग और पूरा साथ मिला है। सोनाली बहुत खुशकिस्मत हैं कि सोनू सूद जैसा जीवन साथी उन्हें मिला जो लाखों में एक ही होता है और जो पूरी आत्मीयता और समर्पण से अपने पैसों की परवाह किए बिना लोगों के दु:ख दर्द ठीक करने में विश्वास करते हैं। सोनाली हमेशा सोनू सूद की शक्ति बनकर साथ रही हैं।
सोनू सूद दो महान शख्सियत डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद और महानायक अमिताभ बच्चन से बहुत प्रभावित हैं। वे मानते हैं कि उनके जीवन से बहुत प्रेरणा ली जा सकती है।
सोनू सूद आप अपने नि:स्वार्थ समाज सेवी कार्यों और जरूरतमंद लोगों की जरूरतें पूरी करने के अतुलनीय कार्यों के कारण रील लाइफ से रियल लाइफ हीरो बन चुके हैं। पिछले दिनों उन्हें फोब्र्स की तरफ से लीडरशिप अवार्ड 2021 सम्मानित किया गया है। उन्हें फोब्र्स द्वारा कोविड -19 हीरो का दर्जा दिया गया है। पिछले वर्ष उन्होंने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की आंतरिक पीड़ा समझी और उन्हें पैदल चलकर अपने अपने गांव तक पहुंचने की विवषता से मुक्त करते हुए उन्हें उनके घरों तक विभिन्न परिवहन माध्यमों से सकुशल पहुंचाने में अपनी दरियादिली दिखाई। सोनू सूद नेटवर्क -18 ग्रुप के भारत के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान ‘संजीवनी’ से भी जुड़े हैं और टीकाकरण के प्रति लोगों में जागरूकता का संचार कर रहे हैं। उनके परोपकारी कार्यों का यह सिलसिला निरंतर जारी है। जरूरतमंद लोगों की नई उम्मीद के रूप में अपने कार्यों से लोगों का दिल जीत चुके सोनू सूद के स्वभाव में सहजता कायम है जिसकी कोई मिसाल नहीं मिल सकती।