डॉ. प्रज्ञा कौशिक
मीडिया एजुकेटर
कोई भी समाज बच्चे, युवा,व्यस्क और बुजुर्ग वर्ग सभी को साथ लेकर ही प्रगति कर सकता है:डॉ. प्रज्ञा कौशिक
यदि दुनिया युवाओं द्वारा निर्देशित होती, तो यह एक बेहतर जगह होती। वे सबसे अधिक जीवन्त, आदर्शवादी और ऊर्जावान हैं। – स्वामी विवेकानंद
देश भर में यूथ फेस्टिवल्स आयोजित किए जाते हैं जो कि युवा पीढ़ी की सोच का दर्शन भी है। युवा महोत्सव का उद्देश्य युवाओं की सोच को रचनात्मक आकार देना है और उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए एक संयुक्त शक्तिमें परिवर्तित करना है। इसका उद्देश्य देश की विविध संस्कृतियों, प्रतिभा और कौशल को एक साथ एक पटल पर लाना और उन्हें ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत ‘ के लिए समग्र शक्ति के सूत्र में बांधना है जो कि राष्ट्र को विश्वपटल पर, ‘एकम् राष्ट्र ‘ के रूप में सुशोभित करेगा। राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एकता के लिए अग्रसर हो, ऐसा उद्देश्य हर प्रयास में रहता है। समृद्ध राष्ट्र के निर्माण और विकास में युवाओं की भूमिका हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है। युवाओं की देश, दुनिया की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, कानूनी और राजनीतिक समस्याओं के समाधान में भागीदारी महत्वपूर्ण है,अनिवार्य है। वे भी समाज, देश, दुनिया की समस्याओं के समाधान में ,रचनात्मक कार्यों और विकास की दिशा में कार्य कर सकें, उनका इनके प्रति रूझान हो, विश्व स्तर पर उनकी आवाज़ एकता का संदेश बने,उ नके कौशल को पहचान मिले, इसी उद्देश्य से हर साल 12 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय और 12जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का थीम ‘अंतर पीढ़ीगत एकजुटता : सभी उम्र के लिए एक दुनिया बनाना ‘ था। इस थीम का उद्देश्य यह संदेश देना था कि 2030 और उसके सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स को प्राप्त करना है। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के वैश्चिक लक्ष्यों में गरीबी दूर करना, पर्यावरण की रक्षा करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, रोजगार आर्थिक समानता को प्राप्त करना, पानी, भूमि का बचाव, औद्योगिकीकरण को प्रोत्साहित करना और सभी के लिए शांति और न्याय सुनिश्चित करना शामिल है। इन्हें प्राप्त करने के लिए हर उम्र के लोगों को एक साथ लेकर चलना होगा। किसी को भी इस उदेश्य में पीछे न धकेलना है, न छोडऩा है।
कोई भी समाज बच्चे, युवा, व्यस्क और बुजुर्ग वर्ग सभी को साथ लेकर ही प्रगति कर सकता है। आने वाला समय मिलकर चलने का है। अकेला, देश समाज प्रगतिशील विश्व के साथ नहीं चल पाएगा, मिलकर चलने के लिए मिल कर ही समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। महान् दार्शनिक और विश्व प्रसिद्ध हमारे स्वामी विवेकानंद जी युवाओं में अपार शक्ति और उर्जा देखते थे तभी उनका मानना था कि प्रगति और उत्थान के लिए प्रेरित युवा ही देश की वास्तविक शक्ति हैं। युवा अपने आसान, आराम से रहने वाले खतरों से अप्रभावित, ‘कम्फर्ट जोन ‘ से बाहर निकलकर ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। युवा विश्व स्तर पर भी प्रत्येक व्यक्ति को साथ ले कर चलने और समस्याओं का मिल कर समाधान खोजने की क्षमता रखते हैं। कोरोना काल में जिस तरह विद्यार्थियों ने भी अपने-अपने क्षेत्र में कोरोना से प्रभावित लोगों के लिए आविष्कार किए या आगे आकर अपना योगदान दिया, वह विश्व भर में सराहा गया और प्रभावी रहे। शिक्षित होने के लिए हर बच्चे के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की पूर्ति करना परिवार, समाज और उस देश के प्रशासन और सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके लिए जागरूकता अभियान में भी शिक्षित युवाओं का योगदान वांछनीय है। उनकी ऊर्जा रचनात्मक रूप से समस्याओं के उन्मूलन में लगाई जाए। स्वरोजगार के लिए भी वो प्रेरित हों और साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में वे अपने कौशल और योग्यता से रोजगार योग्य शिक्षा और कौशल प्राप्त करें।सामाजिक कुरीतियों से बचें ।
आशा और ऊर्जा युवाओं की शक्ति है इन्हें समाज के उत्थान की दिशा में लगायें। संयम, मेहनत, अनुशासन और सकारात्मक सोच युवाओं की क्षमता और सामर्थ्य को बढाते हैं इसके लिए वचनबद्ध होकर नियमानुसार काम करें। अपने शब्दों और विचारों का चयन बुद्धिमतापूर्ण करें। जैसा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने भी कहा है – जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है, जो जैसा मार्ग बनाता है उसे वैसा ही मंजि़ल मिलती है। ‘हम वही हैं जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार जीवित रहते हैं, वे दूर की यात्रा करते हैं। ‘