मैं हर हाल में खुश रहती हूं:एल्सा घोष
अभिनेत्री एल्सा घोष से गुरबीर सिंघ चावला की विशेष बातचीत
प्रश्न- एक्टिंग के अपने प्रारंभिक सफर के बारे में कुछ बताइए। यह रुचि आपको विरासत में मिली या अपने दिल की आवाज थी?
उत्तर- एक्टिंग में मेरे कैरियर की शुरूआत बचपन से ही हो गई थी। बचपन में बाल कलाकार के रूप में मैंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। व्यंकटेश फिल्मस की बांग्ला फिल्मों से मैंने अपने काम की शुरूआत की। कुदरती रूप से बचपन से ही मैं अभिनय करने की दीवानी थी। अभिनय मेरे अर्न्तमन की ही आवज़ थी। बचपन से मेरा यह सफर निरंतर जारी है। इन दिनों मैं साउथ की विभिन्न भाषाओं की फिल्में कर रही हूं। साउथ की फिल्मो ंके साथ-साथ हाल ही में रिलीज़ हुई , छत्तीसगढ़ एक बड़े निर्देशक सतीश जैन की फिल्म ‘ले शुरू होगे मया के कहानी’ में नायिका का प्रमुख किरदार निभाया है।
प्रश्न- क्या आप मानती हैं कि अभिनय और संवाद अदायगी के लिए प्रशिक्षण जरूरी होता है। क्या आपने भी कहीं से ट्रेनिंग ली है?
उत्तर- जी हां, निश्चित रूप से अभिनय की ट्रेनिंग से अभिनय की बारीकियां सीखने को मिलती है। किसी स्थापित ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से यह ट्रेनिंग लेनी चाहिए। जहां तक मेरी बात है मैंने किसी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षण नहीं लिया है। बचपन से ही अलग-अलग निर्देशकों और विभिन्न फिल्मों में काम करते-करते अभियन और संवाद अदायगी के बारे में काफी कुछ सीखा है जो मेरी अभिनय कला का आधार है।
प्रश्न- आपकी पहली फिल्म कौन सी थी, जिसने आपको एक एक्ट्रेस के रूप में पहचान दिलाई?
उत्तर- मैंने अलग-अलग तीन फिल्मों से अपने डेब्यू किया था। मेरी पहली उड़िया फिल्म थी ‘भैरव ‘छत्तीसगढ़ में ‘मयारू गंगा’ और साउथ की ‘कृष्ण सुपर मार्केट’। मुझे एक एक्ट्रेस के रूप में इन तीनों भाषाओं की फिल्मों ने पहचान दिलवाई। इसे मैं अपना सौभाग्य मानती हूं कि अपने प्रोफेशनल कैरियर की शुरूआत से ही तीन अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों में काम करने का मौका मिला।
प्रश्न- छत्तीसगढ़ी फिल्मों से आपको किसने जोड़ा। कितनी छत्तीसगढ़ी फिल्मों में आप काम कर चुकी हैं?
उत्तर- छत्तीसगढ़ी फिल्मों में मेरी पहली फिल्म ‘मयारू गंगा’ थी। छत्तीसगढ़ी फिल्मों में मुझे अवसर दिलवाने वाले साउथ के डायरेक्टर एस.के. मुरलीधरन जी है। दूसरी फिल्म मनोज वर्मा जी की थी ‘महूं कुंवारा, तहूं कुंवारी’, ‘सॉरी लव यू जान’और हाल ही में रिलिज हुई सतीश जैन जी की फिल्म ‘ले शुरू होगे मया के कहानी’।
प्रश्न- आप रिजनल फिल्मों की नई स्टार हैं। साउथ की विभिन्न भाषों की फिल्मों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए यहां के दर्शकों की कैसी रुचि आपने देखी?
उत्तर- अन्य रिजनल फिल्मों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ी फिल्मों में काम करने का मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है। यहां के कलाकारों में टैलेन्ट की कमी नहीं है। शूटिंग के स्पाट्स बेहतरीन है। गीत-संगीत भी बहुत प्यारा होता है। अलग-अलग छत्तीसगढ़ी फिल्मों में मैंने जितने भी किरदार निभाएं सभी मुझे बहुत प्रिय है। यहां के दर्शकों का छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए अपार स्नेह मैंने देखा है। जो फिल्म उन्हें पसंद आ जाती है, इसे वे कई बार देखते हैं। दर्शकों का यही प्यार छत्तीसगढ़ी फिल्मों को नई ऊंचाईयां दे रहा है।
प्रश्न- एक्टर एल्सा अपने हर कैरेक्टर में पूरी तरह समा जाती है। यह आप कैसे संभव कर पाती हैं। इसका श्रेय आप निर्देशक को देना चाहेंगी या अपने टैलेंट को?
उत्तर- मेरा मानना है कि सच्चा कलाकार वही है जो अलग-अलग किरदारों को समझ सके, उनकी गहराईयों को स्पर्श कर सके और कहानी के अनुसार पात्रों को साकार कर सके। मेरी भी यही कोशिश रहती है अपनी फिल्मों के विभिन्न किरदारों में पूरी तरह समाहित हो जाऊं और हर फिल्म में अपना सर्वश्रेष्ठ दूं। अपने विभिन्न किरदारों की सफलता का श्रेय मैं सबसे पहले निर्देशकों को देना चाहूंगी क्योंकि फिल्म के परदे पर उन्हीं के निर्देशन में हमें पात्रों को साकार करना होता है।
प्रश्न- आपकी फिल्म ‘ले शुरू होगे मया के कहानी’ सुपरहिट हो चुकी है। यह फिल्म आपके कैरियर को नई बुलंदिया देगी। फिल्म की टीम और निर्देशक सतीश जैन जी के रूप में क्या कहना चाहोगी?
उत्तर- सबसे पहले छत्तीसगढ़ी सिनेमा के दर्शकों से मिले असीम प्यार का दिल से शुक्रिया करना चाहूंगी। इस फिल्म को सुपरहिट बनाने वाले हमारे दर्शक ही हैं। इस फिल्म की पूरी टीम ने एक-दूसरे के साथ बेहतरीन तालमेल किया था पूरे शूट में हम सब एक परिवार की तरह रहे। इस फिल्म में अपनी भूमिका ‘ज्योति’ के बारे में सतीश जैन जी इतने अच्छे से समझाया कि ‘एल्सा’ पूरी तरह से ‘ज्योति’ बन गई। सतीश जी जैसे अनुभवी निर्देशक के साथ काम करना अपने आपमें एक बड़ी उपलब्धि मैं मानती हूं। फिल्म के हर पहलू पर उनकी गहरी पकड़ है। उनके साथ काम करके हमेशा कुछ नया सीखने को मिलता है। सतीश जी के साथ यह मेरी पहली फिल्म है। मैं यह कह सकती हूं कि सतीश जी खुद ही एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट है। स्क्रिप्ट राईटिंग से लेकर फिल्म की तकनीक, संगीत, सम्पादन, कैमरा, फिल्म के सभी कलाकारों को निखारने की कला में माहिर हैं। समय की प्रतिबद्धता भी उनकी एक विशेषता है।
प्रश्न- एक एक्टर जब सफलता की ऊंचाईयों को स्पर्श करने लगता है तो उसके बहुत से आलोचक भी होते हैं जो कलाकार के अभिनय की खामियां निकालते हैं। आप अपने अभिनय की आलोचना को किस रूप में स्वीकारती हैं?
उत्तर- मुझे बहुत खुशी होती है जब आलोचक मेरी कमजोरियां बताते हैं। मैं अपने आलोचकों का हमेशा स्वागत करती हूं। आलोचनाएं मुझे निराश नहीं करती बल्कि मुझे और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करती है बशर्ते स्वस्थ आलोचना हो। अपने काम के फीड-बैक का हमेशा मुझे इंतजार रहता है।
प्रश्न- अपने प्रोफेशनल कैरियर के संघर्ष के दिनों को किस तरह से याद करती हैं। आपकी सफलता में संघर्ष का कितना योगदान है?
उत्तर- सफलता के लिए संघर्ष बहुत मायने रखता है। संघर्ष के दिनों को मैं याद नहीं करती उनके साथ जीती हूं। अभी मेरी सफलता की तो शुरूआत है। हमेशा कुछ बेहतर करने का संघर्ष तो निरंतर चलता रहता है। संघर्ष को देखने का, सबका अपना अलग-अलग नजरिया होता है। संघर्ष का स्वरूप बदलता रहता है लेकिन एक कलाकार के कैरियर में यह हमेशा चलता रहता है।
प्रश्न- आपकी आकर्ष मुस्कान और फिटनेस का राज क्या है?
उत्तर- हमेशा खुश रहना मेरी मुस्कान और फिटनेस का राज है। मैं हर हाल में खुश रहती हूं। मैं सभी से कहना चाहूंगी कि खुश रहो, व्यस्त रहो और मस्त रहो। आपकी फिटनेस के लिए स्ट्रेस फ्री रहना जरूरी है। आप खुश रहोगे तो आपकी मुस्कान स्वावभाविक रूप से आकर्षक हो जाएगी। हर परिस्थिति में जीवन को दिल से जीयो।
प्रश्न- अपने कैरियर की अब तक की सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगी?
उत्तर- मैं अपनी सफलता का श्रेय निश्चित रूप से अपने परिवार को देना चाहूंगी। जिनके मार्गदर्शन, सहयोग और साथ के कारण मैं सफलता के इस पड़ाव तक पहुंच सकी। इस सफलता में मेरी कड़ी मेहनत और काम के प्रति समर्पण का भी बहुत योगदान है। सबसे महत्वपूर्ण दर्शकों का असीम प्यार है जिसके बिना कोई भी कलाकार अधूरा है।