कॉरपोरेट फोकस
प्रो. (डॉ.) दिव्या तंवर
प्रो. सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय, मुम्बई
चेयरपर्सन – दिव्य फाउंडेशन, नई दिल्ली
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स – नमो स्टडीज सेन्टर
नई दिल्ली
डॉट वेब (डार्क नेट) जानकारी जरूरी है
जैसे जैसे हमारा समाज प्रगति की ओर बढ़ रहा है
वैसे वैसे अपराध करने के तरीकों में भी बहुत बदलाव
हो रहा है उसका सबसे बड़ा उदाहरण इंटरनेट और
साइबर क्राइम या अपराध
साइबर अपराध
सामान्य साइबर अपराध को ‘किसी भी गैरकानूनी कृत्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जहां कंप्यूटर या संचार डिवाइस या कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग अपराध को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है’ ।
इंटरनेट ने आपकी और हमारी जिंदगी को काफी आसान और सरल बना दिया है या ये कहें कि पूरी तरह से बदल दिया है क्योंकि यहाँ पर सब तरीके की सूचनाएँ एक क्लिक के माध्यम से मौजूद होती हैं हर चीज़ से जुड़ी इन्फॉर्मेशन पलक झपकते ही मिल जाती है पर क्या आप जानते हैं कि जो इंटरनेट को आप अपनी जिंदगी का बहुत ही अहम हिस्सा बना चूके हैं वहाँ पर छोटी सी गलती आपको एक भारी मुसीबत में फंसा सकती है और आपको इसको बहुत समझदारी से और सावधानी पूर्वक इइस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इंटरनेट (साइबर) का एक डार्क साइड जिसे डार्क वेब भी कहा जाता है वह एक ऐसी जगह है जिससे आप जितना दूर रहें उतना ही हमारे बच्चों, महिलाओं और सबके लिए अच्छा है। अब मैं इसके बारे में विस्तार से बताना चाहूंगी कि सच में ये डार्क वेब है क्या और क्यों आपको इससे दूरी बनाएँ रखना जरूरी है।
डॉट नेट (डार्क वेब) इंटरनेट का वह हिस्सा है जहां दुनिया के सारे अवैध काम किए जाते है क्योंकि डार्क वेब को इस्तेमाल करने वाले को ट्रैक (track) करना लगभग नामुमकिन होता है और ऐसा इसलिए क्योंकि इसे इस्तेमाल करने वालों का कोई सटीक IP Address नहीं होता क्योंकि इसे वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) के द्वारा संचालित किया जाता है। डार्क वेब मे संचालित होने वाले कोई भी वेबसाईट गूगल और किसी भी सामान्य सर्च इंजन से नहीं खोजे जा सकते हैं। इनके सर्वर पर गूगल द्वारा नहीं पहुचा जा सकता है डार्क वेब में TOR browser नाम के टूल से जाया जा सकता है जहाँ पर न जाने कितनी अनगिनत वेबसाईट है जो अवैध गतिविधि में शामिल हैं।
अगर आसान भाषा में कहा जाए तो इंटरनेट को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है –
सरफेस वेब (Surface web)
डीप वेब (Deep web)
डार्क वेब (Deep web)
SURFACE WEB क्या है ?
Surface web Internet का वह हिस्सा है जिससे हर कोई बड़ी आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। हम जो कुछ भी Google web browser या Bing web browser या किसी भी browser मे हम जो भी URL खोल पाते है वह सभी Surface web के अंदर आते है। सामान्य यूज़र द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले Internet यानि Surface web पूरे internet का केवल 4 प्रतिशत ही उपयोग होता है। बाकी के डार्क वेब के अंदर आते है। आप जो भी वेबसाईट जैसे यूट्यूब, गूगल, इंस्टाग्राम, फेसबूक इत्यादि जैसे वेबसाईट जो सभी के लिए उपलब्ध है यह सभी Surface web के अंदर आते है।
DEEP WEB क्या है?
हम अगर बात करें की Deep web क्या है? तो इसे आसान भाषा मे कह सकते Deep web Internet का वह हिस्सा है जिसे इस्तेमाल करना अवैध नहीं माना जाता है। यह इंटरनेट का वो हिस्सा है जो किसी अथॉराइजेशन और पासवर्ड से ही खुल सकता है जैसे कि सरकारी वेबसाइट्स, आपका बैंक अकाउंट, किसी भी आर्गनाइजेशन का लॉगिन पासवर्ड बहुत जरूरी है। इस वेबसाइट को यूज़ करने के लिए अगर आपका पासवर्ड लॉगिन सही नहीं होगा तो आप उस पर्टिकुलर वेबसाइट को उपयोग नहीं कर पाएंगे यानी की डीप वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है जो एक अथॉराइजेशन से ही खुलेगा।
Deep web का इस्तेमाल सरकारी जानकारी को स्टोर रखने में किया जाता है।
किसी भी कंपनी की पर्सनल जानकारी जिसे उस कॉम्पनी के वर्कर ही देख सकते हैं।
बैंक में जिसे सिर्फ बैंक के कर्मचारी ही देख सकते है ।
किसी भी देश के आर्मी वर्कर्स।
एयर फोर्स इत्यादि।
ऐसी कोई भी जानकारी जो आम सर्च रिजल्ट मे नहीं दिखती।
डार्क नेट क्या है?
यह इंटरनेट का वह हिस्सा है जिसे इस्तेमाल ज्यादातर अवैध धंधों के लिए किया जाता है। जैसे ड्रग्स को ऑनलाइन बेचना, चाइल्ड पोनोग्राफी, फिरौती, ब्लैकमेलिंग, हैकिंग, मानव तस्करी, अवैध करन्सी का लेन जैसे अवैध धंधों को चलाना और इंटरनेट पर होने वाले सभी अवैध काम Dark Web पर ही किया जाता है। Dark Web या Dark net इंटरनेट का वह वह 96 प्रतिशत हिस्सा है जो की आम यूज़र से बहुत दूर है और ना ही उन्हें इसकी जानकारी होती है. डार्क वेब की वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए special web browser का उपयोग किया जाता है जैसे की TOR ब्राउजऱ। dark website के extension हमारे normal website के extension से काफी अलग होते है। डार्क वेबसाइट में .onion extension का इस्तेमाल होता है।
डार्क वेब को आम वेब ब्राउजऱ पर नहीं इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमे सही IP address को खोजना लगभग नामुमकिन है। उदाहरण के तौर पर यदि आप टॉर ब्राउजर के जरिए इंटरनेट पर कोई भी काम करते हैं, तो आपको कोई सरकारी एजेंसी भी ट्रैक नहीं कर सकती, क्योंकि टॉर ब्राउजर में आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस लगातार बदलती रहती है और इंटरनेट की दुनिया में किसी को भी आईपी एड्रेस के जरिए ही ट्रैक किया जाता है। हालांकि टॉर ब्राउजर पर भी कई डार्क वेब वाली वेबसाइट्स बैन हैं।
यह वो मार्केट होती है जहाँ पर अवैध रूप से बनाए जाने वाले प्रोडक्ट और इस तरह के इंडस्ट्रीज होती है जिनके बारे में जानकारी निकाला बहुत ही मुश्किल होती है, इस तरह के बिजनेस सरकार के अनुमति और जानकारी से छुप कर किया जाता है जो की सम्पूर्ण रूप से अवैध कहलाता है और इसका उपयोग बड़े ही गोपनीय तरीके से किया जाता है जिसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी, ड्रग्स, क्रिप्टोकरेंसी, टेररिज़म, मानव अंगों की तस्करी, फिरौती जैसे डील कीये जाते है।
डार्क वेब को दुनिया के किसी भी कोने से इस्तेमाल कर सकते है यहाँ आपकी पहचान हमेसा ही छुपी रहती है। आप कोई भी जानकारी या वेबसाईट इंटरनेट से छुपा कर यह स्टोर कर सकते है जिसे कोई भी ट्रैक नहीं कर सकता है।
डार्क वेब के नुकसान
यहां ज्यादातर काम गैर कानूनी तरीके से किये जाते है। डार्क वेब में बहुत ही बड़ी संख्या में हैकर्स मौजूद है जिसके वजह से आपके कंप्युटर या लैपटॉप के हैक होने का चांस बढ़ जाता है। यहां आपको सुरक्षा प्रदान करने के लिए Windows और google जैसी कंपनी नहीं मिलती आप जो भी करेंगे अपने रिस्क पर करते है। इसलिए आप इसे जितना भी दूर रहे उतना अच्छा है।
सिल्क रोड – पहले डार्कनेट बाजार की कहानी
सिल्क रोड एक डिजिटल ब्लैक मार्केट प्लेटफॉर्म था जो बिटकॉइन का इस्तेमाल करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों और अवैध ड्रग ट्रांजैक्शन की लेनदेन के लिए लोकप्रिय था । सिल्क रोड, पहले डार्कनेट बाजार के रूप में माना जाता है, 2011 में शुरू किया गया था और अंतत: 2013 में एफबीआई द्वारा बंद कर दिया। इसकी स्थापना रॉस विलियम उल्ब्रिच ने की थी, जो अब सिल्क रोड में अपनी भूमिका के लिए जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है
संक्षेप में
सिल्क रोड एक ऑनलाइन काला बाजार था जहां अवैध या अनैतिक वस्तुओं के खरीदार और विक्रेता गुमनाम रूप से लेनदेन कर सकते थे।
टॉर नेटवर्क और क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन जैसी गोपनीयता तकनीकों का उपयोग करते हुए, लोग ड्रग्स, हैक किए गए पासवर्ड, अवैध डेटा और अन्य निषिद्ध में लेनदेन करने में सक्षम थे।
एफबीआई ने 2013 में सिल्क रोड को बंद कर दिया और इसके संस्थापक रॉस उल्ब्रिच को आजीवन जेल की सजा सुनाई गई ।
एफबीआई ने साइट को स्थायी रूप से बंद कर दिया, 144,000 से अधिक बिटकॉइन (तब $ 34 मिलियन मूल्य) जब्त किए, और संस्थापक रॉस उल्ब्रिच सहित साइट के कई उपयोगकर्ताओं को गिरफ्तार किया, जिन्होंने साइट के भीतर किए गए लेनदेन से कमीशन में लगभग $ 80 मिलियन बनाए। Ulbricht 2015 में दोषी ठहराया गया था और वर्तमान में पैरोल की संभावना के बिना आजीवन कैद की सजा काट रहा है।