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सिने इनसाईट

admin by admin
September 1, 2022
in सिने इनसाइट
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सिने इनसाईट

निहीरा जोशी देशपान्डे
प्लेबैक सिंगर
म्यूजि़क कम्पोजर
लाईव परफॉर्मर  

https://www.facebook.com/singernihirajoshi

https://www.youtube.com/c/nihirajoshideshpande


 

संगीत मेरे जीवन में रचा-बसा है – निहीरा  जोशी देशपान्डे

संगीत की श्रेष्ठता को भाषा के दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता  

संगीत के अपने प्रारंभिक सफर के बारे में कुछ बताइए। यह आपको विरासत में मिला या आपकी अपनी रुचि थी?
संगीत के प्रति मेरा रुझान बचपन से ही था क्योंकि मेरे माता-पिता के परिवारों में सभी संगीत के प्रति गहरा लगाव रखते थे। वे सब शौकिया तौर पर संगीत से गहराई से जुड़े हुए थे। मेरे पिता बहुत अच्छा गाते हैं। सुरों पर उनकी अच्छी पकड़ है पर कमी संगीत को उन्होंने प्रोफेशनली नहीं लिया। यह कह सकते हैं संगीत और गायन के प्रति मेरा प्रारंभिक सफर घर के सांगीतिक माहौल से ही शुरू हुआ।

आप एक मशहूर गायिका हैं। आपकी आवाज़ में मधुरता और मौलिकता है। सफलता के इस मुकाम तक पहुंचने के लिए किन-किन गुरुओं की तालीम और आशीर्वाद आपके साथ रहा है?
यह मेरा सौभाग्य है कि अलग-अलग गुरुओं का सानिध्य और आशीर्वाद मुझे अपने संगीत और गायन के कैरियर में मिला है। संगीत की मेरी शिक्षा शुरू हुई थी श्रीमती विद्या जाईल जी से। उनसे मैंने 9-10 वर्ष की उम्र से शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया था। वे बेगम परवीन सुल्ताना जी की शिष्या हैं। इसके साथ-साथ समानान्तर रूप से पद्मश्री कल्याणजी भाई से मैं लाईट म्युजिक भी सीख रही थी। काफी वर्षों तक मैंने इन दोनों गुरुओं से शिक्षा हासिल की। इसके बाद मैंने डॉ. ज्योति काळे जी से भी संगीत की तालीम ली। संगीत निरंतर सीखने की प्रक्रिया है, इसी तारतम्य में वर्तमान में मैं अनुराधा कुबेर जी से संगीत की तालीम ले रही हूं वे भींडीबाज़ार घराना से ताल्कुल रखती हैं। पियानों वादन में पारंगत होने के लिए मशहूर पियानिष्ट सुस्मित रूद्र जी से सीख रही हूं। इन सबके अलावा यू-ट्यूब पर संगीत के कई गुरुओं के चैनल उपलब्ध हैं। यू-ट्यूब के विभिन्न चैनलों से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। यू-ट्यूब पर उपलब्ध कटेंट से भारतीय और पाश्चात्य दोनों तरह के संगीत सीखने में गहरी रुचि रखती हूंं।

संगीत की शिक्षा के दौरान किन बातों पर आपको फोकस होता था?
संगीत की तीलाम के दौरान कई बातों पर एकाग्रता रखनी होती है। कांशस और सबकांशस माईड संगीत की तालीम के दौरान एक्टिव रहते हैं। सबकांशस माईड में काफी सारी बातें हमें याद होती है जबकि कंशन्स माईड में इस तकनीकी सुधार, गले का रियाज, सुरों का तारतम्य और उसके भावों की गहराई पर फोकस करते हैं। तालीम के दौरान अपने मस्तिष्क को संगीत की बारीकियों का अध्ययन करते हुए स्वयं भी कुछ नया सृजन करने के लिए प्रेरित करना होता है ताकि हम अपनी सृजनात्मकता को जागृत कर सकें। तालीम के दौरान संगीत सीखने वाला अपनी अंतरात्मा को जागृत करता है और संगीत के सागर में डूबकर आनंद की अनुभूति करता है। इस आनंद की अनुभूति को महसूस करने के लिए तन्तमयता और एकाग्रता बहुत जरूरी होती है। तालीम के दौरान हम यह भी सीखते हैं कि जिस भी भाषा में हम गायन कर रहे हैं उसके शब्दों का उच्चारण सही हो और शब्दों के भावों में गहराई हो।

आपको कब यह एहसास हुआ कि प्लेबैक सिगिंग में अपना प्रोफेशनल कैरियर बनाना है?
संगीत की शिक्षा हासिल करते हुए जब मैं 16-17 वर्षों की थी तभी मुझे यह अंर्तमन से अहसास हुआ कि संगीत को ही अपना प्रोफेशनल बनाना है और संगीत ही मेरा जीवन है। उसी दौरान प्रतिष्ठित संगीतकारों से मेरा परिचय हुआ। शंकर अहसान लॉय, मराठी फिल्मों के संगीतार डॉ. सलील कुलकर्णी, अवधुत गुप्ते, अशोक पत्की जी, कौशल इनामदार, नीलेश मोहरीर से परिचय हुआ और इनके प्रोत्साहन और मार्गदर्शन से मेरे प्रोफेशनल गायन के सफर की शुरूआत हुई। अब स्वतंत्र रूप से भी मैंने म्युजिक कम्पोज करना शुरू किया है और अपने गीतों को स्वरबद्ध किया है।

एक प्लेबैक सिंगर के रूप में आपकी पहली सफलता कौन सी थी। यह सफलता आपके कैरियर के लिए क्या मायने रखती है?
एक पाश्र्व गायिका के रूप में मेरा पहला ब्रेक शंकर एहसान लॉय के साथ था। इस फिल्म का नाम था सलामे इश्क। समीर जी का गीत था। यह गीत भी बेहद पापुलर है मेरा दिल-दिल मेरा। यह गीत मैंने प्लेबैक सिंगर शान के साथ गाया था। उस दौरान शान सारेगामा के होस्ट थे। शंकर एहसान  लॉय का संगीत हमेशा से मुझे प्रिय रहा है। पाश्र्व गायिका के रूप में पहला मौका शंकर एहसास लॉय के साथ मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। यह पहली सफलता मेरे कैरियर के लिए बहुत अहमियत रखती है। यही सफलता मेरे सिंगिंग कैरियर का आधार है।

गायन के साथ-साथ आप म्युजिक कम्पोज़ भी करती हैं। एक म्युजिक कम्पोजर के रूप में आप अपनी किन उपलब्धियों के बारे में बताना चाहेंगी?
म्युजिक कम्पोज करना मैंने कुछ ही वर्षों पूर्व शुरू किया हैा। कहीं न कहीं अंदर एक रिक्तता महसूस हो रही थी और कुछ नया करने की जिज्ञासा और संगीत की धुनें सृजित करने का आत्मविश्वास भी था। इसलिए मैंने म्युजिक कम्पोज करना शुरू किया। इसमें मुझे अपनी गुरु अनाराधा कुबेर जी का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन मिला। मेरा पहला सिंगल जो रिलिज हुआ उसका नाम न छेड़ो हमें था। खलिल अभ्यंकर की शब्द रचना थी और स्वर तथा संगीत मेरा था। पहले सिंगल की रिलिज की सफलता के बाद मेरा आत्मविश्वास और बढ़ा और मैंने नए सिंगल्स पर काम किया। दूसरा सिंगल निरमोहिया था। इसे मनोज यादव ने लिखा था। इस सिंगल को भी बहुत पसंद किया गया। मेरा तीसरा सिंगल इश्क मनाए क्या को भी बेहद सराहना मिली। यह एक सालसा था जिसमें हमने एक तरह का नया प्रयोग किया था जो काफी सफल रहा। इस सालसा में गीत मनोज यादव ने लिखा था। यह नया प्रयोग सफल रहा और काफी पसंद किया गया।

आजकल फिल्मों में संगीत के लिए धुनें पहले तैयार कर ली जाती हैं फिर धुनों के लिए शब्द रचना की जाती है। म्युजि़क कम्पोजर के रूप में इस ट्रेंड की क्या कमियां और खूबियां आप देखती हैं?
पहले धुनें तैयार होती हैं फिर उस पर गीत लिखे जाने का ट्रेड नया नहीं है यह काफी पहले से चल रहा है। पहले धुन या संगीत इस पर ज्यादा सोचने की बजाय यह देखा जाना चाहिए कि गीत और संगीत के समिश्रण से जैसे फिल्म की सिचुएशन के हिसाब से है वैसा प्रोडक्ट तैयार हो। टीम का आपसी तालमेल होना चाहिए। इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि पहले गीत लिखा गया या पहले धुन तैयार की गई। सिनेमा के संगीत में से कई मिले-जुले उदाहरण हैं जिमसें पहले धुनें बनीं फिर शब्द रचना की गई और कई मामलों में पहले गीत लिखे गए फिर संगीत की रचना की गई।

आपका अपना सर्वाधिक पसंदीदा सिंगल्स कौन-सा है जिसे आपने स्वयं गाया और स्वरबद्ध किया?
मेरे अपने बनाए हुए सिंगल्स की बात करें तो निरमोहिया मुझे सबसे ज्यादा प्रिय है। यह सिंगल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर काफी पापुलर हुआ। इसकी धुन भी बहुत कैजुअली बन गई थी। इस धुन पर मनोज यादव जी ने शब्दों को पिरोकर बेहतरीन गीत तैयार किया। मशहूर गिटारिस्ट रिदम शॉ ने इसमें गिटार प्ले किया है। यह सिंगल क्लासेस और मासेस दोनों ने बेहद पसंद किया। अमेरिकी इंडिपेंडेट अवार्ड्स में भी इस सिंगल का नॉमिनेशन हुआ था। यह सिंगल मेरे लिए बहुत स्पेशल है।

आपने अपने संगीत के कैरियर में किन फिल्मों के लिए गीत गाए हैं जिनसे बॉलीवुड में आपको पाश्र्वगायिका के रूप में स्थापित किया?
बॉलीवुड में मैंने चार-पांच फिल्मों के लिए गाया है। मराठी सिनेमा में बहुत सारी फिल्मों के लिए भी मैंने गीत गाए हैं। बॉलीवुड में सिंगर के रूप में पहचान की बात करें तो यह पहचान मुझे फिल्म सलाम-ए-इश्क के गीत मेरा दिल-दिल मेरा से बनी। इसके बाद शंकर एहसान लॉय ने किस दिल में मुझे गाने का मौका दिया। इस फिल्म में मैंने दो गीत गाए थे। एक गीत अरीजित सिंह के साथ सजदे और दूसरा गीत शंकर जी के साथ आवरा था। यह दोनों ही बहुत खूबसूरत गाने हैं। इन गीतों को गुलजार साहब ने लिखा था।

आपने मराठी फिल्मों के लिए कई संगीतकारों के साथ काम किया है। हिन्दी और मराठी सिनेमा के संगीतकारों के कामों में क्या अंतर आपने महसूस किया?
जहां तक हिन्दी और मराठी सिनेमा के संगीतकारों के कार्यों में भिन्नता और श्रेष्ठता की बात है तो मेरे दृष्टिकोण से एक संगीतकार हमेशा अपना श्रेष्ठ देने का प्रयास करता है। सबका अपना एक स्टाइल होता है। संगीतकार गीत को हमेशा बेहतरीन बनाने का प्रयास करता है भाषा कोई भी हो। मैंने कई हिन्दी और मराठी सिनेमा के अलग-अलग संगीतकारों के साथ काम किया। सबसे मुझे हमेशा कुछ नया सीखने को मिला है। मेरा मानना है कि संगीत की श्रेष्ठता को भाषा के दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता।

संगीत के कैरियर में अब तक का आपका सफर कैसा रहा है। अपने कामों से आप कितनी संतुष्ट हैं?
मेरा अब तक का संगीत का सफर बहुत अच्छा और निरंतर सीखने वाला रहा है। हर पल हम कुछ नया सीखते हैं। इस सफर में मेरे साथ रहे मेरे गुरु, संगीतकार, दोस्त, प्रेरणा देने वाली विभिन्न शख्सियतें मुझे प्रोत्साहित करती रही हैं। मेरे पति, मेरी बच्ची और परिवार वालों का साथ मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत है। जहां तक संतुष्टि की बात है तो मैं बहुत कुछ नया करना चाहती हूं।

विवाह के पश्चात आप जर्मनी में बस गई है। देश से दूर वहां अपनी संगीत की सृजनात्मकता को किस तरह आपने जारी रखा है?
संगीत मेरे जीवन में रचा-बसा है। मैं जर्मनी में रहूं या भारत में संगीत हमेशा मेरे साथ ही रहता है। जर्मनी में अपनी क्रिएटिविटी को नया स्वरूप देने के लिए मैंने म्युजिक कम्पोज करना शुरू किया। नए सिंगल्स बनाए।

नई धुनों पर कार्य चलता रहता है। कुछ सिंगल्स पर काम चल रहा है जो शीघ्र ही रिलिज होंगे। मेरा मानना है क्रिएटिविटी आपके अंदर ही रहती है। आप किसी भी देश या शहर में रहें अपनी क्रिएटिविटी को हमेशा कुछ नया करने के लिए तराश सकते हैं।

आपको उत्कृष्ट गायन के लिए कई अवार्ड्स भी मिले हैं। यह अवार्ड्स आपके लिए क्या मायने रखते हैं?
जब भी किसी सिंगर को अवार्ड मिलता है या नामिनेशन मिलता है तो आंतरिक खुशी होती है कि उसके कामों को पहचान मिली है। मुझे मिलने वाले अवार्ड हमेशा प्रोत्साहित करते हैं कि भविष्य में और बेहतर करना है।  अवार्ड्स  का दूसरा पहलू यह भी केवल अवार्ड्स को अपनी पहचान नहीं समझना चाहिए। कई बार ऐसा भी होता है कि आपके बहुत अच्छे परफारमेंस को पहचान नहीं मिल पाती। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने काम पर फोकस करें। यह सोचकर काम न करें ताकि हमें अवार्ड लेना है। मेरे लिए सबसे बड़ा अवार्ड प्रशंसकों का प्यार है।

कारपोरेट इनसाईट के जरिए आप अपने प्रशंसकों से क्या कहना चाहेंगी?
आपकी पत्रिका के जरिए मैं अपने प्रशंसकों से यही कहना चाहूंगी कि अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें। मेरे आने वाले नए सिंगल्स को जरूर सुनें। सिंगल्स के प्रति उनकी जो भी राय है मेरे डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए जरूर अवगत कराएं ताकि उनकी उम्मीदों को मैं पूरा कर सकूं।


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