रोज़ी शर्मा
कत्थक गुरू
संस्थापक – वैष्णवी डांस एकेडमी,
एंद्री वीमन्स क्लब
नई दिल्ली
दो बातें जो कलात्मक क्षेत्र में सफल होने के लिए ज़रूरी है?
लाइफ में मुकाम पाने के लिए और प्रोस्पेरिटी के लिए जिस क्षेत्र में आपका इंटरेस्ट हो उसी क्षेत्र में आपको अपना व्यवसाय चुनना चाहिए इससे आप अपने व्यवसाय से जुड़े रहेंगे और लाइफ को भी एंजॉय कर पाएंगे।
दूसरी चीज जो भी आप एक्टिविटी करें अपने व्यवसाय से संबंधित उसमें आपको कभी भी प्रयास करना बंद नहीं करना चाहिए आप कभी एक या दो बार उसमें फेल भी हो सकते हैं लेकिन निरंतर प्रयास से आपको सफलता जरूर मिलेगी और आप उस मुकाम तक पहुंचेंगे जहां तक आप जाना चाहते हैं।
मेरे लिए नृत्य की परिभाषा है
यतो हस्ता ततो दृष्टि
यतो दृष्टी ततो मन्हा
यतो मनहा ततो भाव
यतो भाव ततो रस:।
मतलब की
जहां हाथ वहां नजऱ
जहां नजऱ वहां मन
जहां मन वहां भाव
जहां भाव वही आनंद।
जब शरीर और आत्मा मिलकर नृत्य करते है तो सही मायने मैं वही परम आनंद है।
दो बातें जिनसे आपको कत्थक अर्टिस्ट बनने की प्रेरणा मिली?
मैं भारतीय संस्कृति पहनावा और आभूषणों से संबंधित उपयोग की वजह से भी कत्थक से जुड़ी मुझे सजना सवरना आभूषण पहनना बहुत पसंद था और आज भी है मैं ऐसा मानती हूं कि संगीत सौंदर्य यह दोनों मिलकर एक स्त्री को संपूर्ण करते हैं।
नृत्य जो भावनाओं की अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है उसमें भी कत्थक इस माध्यम में सर्वश्रेष्ठ है तो कत्थक को चुनना मतलब भगवान की भक्ति अपना सौंदर्य भारतीय संस्कृति और शारीरिक मानसिक एवं आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति का सही मार्ग है।
दो चुनौतियाँ जो एक सफल कत्थक अर्टिस्ट बनने के लिए आपके सामने थी?
कथक नृत्यांगना बनने के लिए मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी की मैं जिस स्थान पर मैं रहती थी वहां उस समय पर सही व्यवस्था नहीं थी। मुझे कत्थक सीखने के लिए बहुत दूर दूर जाना पड़ता था। और मुझे संतुष्टि नहीं होती थी कि जो मैंने सीखा है वो मुझे एक अच्छे स्तर तक ले जा सकेगा मेरा गुरु की कृपा पाने का प्रयास सफल नहीं हो पा रहा था लेकिन अंत में पंडित चरण गिरधर चांद जी की कृपा से जिन्होंने मुझे अपना शिष्य स्वीकार किया और मुझे मोटिवेट किया और मैं उनकी कृपा से एक सफल कलाकार बन पाई। और कला के क्षेत्र मैं अपना योगदान दे पा रही हूं।
दूसरी चुनौती जो मेरे सामने थी वह अपने स्कूल की पढ़ाई के साथ घर में मां के कामों में हाथ बटाने के साथ अपने लिए कत्थक सीखने का समय निकालना बड़ा मुश्किल होता था। एक लड़की के लिए शादी से पहले पढ़ाई लिखाई और घर की चीजें करने के साथ और शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारी है बच्चों की जिम्मेदारियां के साथ समय निकालना और कत्थक की प्रैक्टिस करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि जब आप अपने आप को निरंतर अगले स्तर पर ले जाना चाहते हैं तो आपके सामान्य प्रयास काफी नहीं होते आपको अत्यधिक फोकस की जरूरत होती है और घर की जिम्मेदारियों के साथ अपने नृत्य परऔर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है।
दो बातें जो कत्थक आर्टिस्ट को प्रस्तुति के दौरान हमेशा फोकस करनी चाहिए?
कत्थक करते समय कलाकार को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है उनमें प्रमुख है एकाग्रता क्योंकि एकाग्रता के माध्यम से कलाकार म्यूजिक लय ताल और अभिनय जिसमें मुख्य रूप से हावभाव मैटर करते हैं इसलिए कलाकार को पूर्ण एकाग्रता के साथ अपना परफॉर्मेंस देना चाहिए और परफॉर्मेंस से पहले उसी एकाग्रता के साथ अभ्यास करना चाहिए।
कत्थक में एकाग्रता के साथ-साथ मुद्राओं और भाव भंगिमा का बहुत महत्व है इसलिए कलाकार को मुद्राओं का साथ साथ भाव भंगिमा पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए जितना लय ताल हाव भाव पर देना होता है अगर कलाकार इन दो बातों का ध्यान रखेगा तो वह निश्चित है कत्थक के एक अच्छे स्तर के परफॉमेंस दे पाएगा।
वैष्णवी डांस एकेडमी की संस्थापक के रूप में आपके दो महत्वपूर्ण दायित्व?
वैष्णवी नृत्य अकादमी का स्थापन मैंने कला और संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए किया है इसमें मैं कोई धन उपार्जन पर ज्यादा ध्यान नहीं देती मेरा सबसे बड़ा उद्देश्य कत्थक नृत्य को कला के क्षेत्र में एक पहचान दिलवाना और और समाज में कत्थक कलाकारों को सम्मान दिलाना रहता है।
मैं यह चाहती हूं कि जो मेरे स्टूडेंट्स है वह कत्थक को ईश्वर की पूजा के रूप में सीखें और इसको आगे बढ़ाएं उनके शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकास का मैं एक गुरु के तौर पर पूर्ण रुप से ध्यान रखती हूं और उनको सदैव अनुशासन में रहने की प्रेरणा देती हूं और ऐसा ही आचरण करती हूं जैसे अपने स्टूडेंट से एक्सपेक्ट करती हूं।
एंद्री वीमन्स क्लब की दो बड़ी उपलब्धियाँ?
एंद्री वीमन्स क्लब एक सामाजिक सेवा का माध्यम है जिसमें सभी क्लब के मेंबर जो महिलाएं हैं वह सामाजिक सेवा में सहयोग करती हैं इस क्लब में हमने समाज के लिए कला एवं संस्कृति से जोड़ते हुए अनाथ गरीब बेसहारा बच्चों एवं महिलाओं को सहायता किया और यह ध्यान रखा कि उनकी बेसिक नीड्स में सहयोग करने के लिए अपने सामर्थ्य अनुसार हमेशा कार्यरत रहे समाज की सेवा जरूरतमंदों का ध्यान इस क्लब की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
सभी महिलाओं के स्वाभिमान एवं एवं समाज में सम्मान की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है और हम आपस में एक दूसरे का सहयोग करते हुए यह सुनिश्चित करते हैं कि नारी शक्ति सदैव आदर एवं सम्मान के पात्र बनी रहे कला और नारी शक्ति के जीवन के स्तर को ऊपर उठाने की दो प्रमुख उपलब्धियां प्राप्त की।
दो बातें जो महिला सशक्तिकरण की आधार है?
महिला सशक्तिकरण के लिए मेरा ऐसा मानना है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनना चाहिए उसके लिए सबसे अच्छी पहल है कि आप एक मां के रूप में अपनी बेटी को संपूर्ण रूप से आत्मनिर्भर बनाए उस को अच्छी शिक्षा एवं अच्छा स्वास्थ्य दे जिससे वह समाज में अपना स्थान बना सके और महिला वर्ग शक्तिशाली हो सके।
महिलाओं को आपस में एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए और हर प्रकार से एक दूसरे का सहयोग एवं समर्थन करना चाहिए जब महिलाएं एक दूसरे का सम्मान सहयोग समर्थन करती हैं तो समाज में पुरुष वर्ग भी उनका सम्मान सहयोग समर्थन करेगा जिससे जिससे महिला सशक्तिकरण को बल मिले।
दो कार्य जो आप महिला सशक्तिकरण के लिए करना चाहती हैं?
महिला सशक्तिकरण के लिए हर महिला में जो टैलेंट छुपा है उसको समाज के सामने लाना चाहती हूं। उस टैलेंट के लिए उस महिला का सम्मान किया जाए। महिलाओं के लिए हर स्तर पर सम्मान समारोह आयोजित किए जाएं और इस तरह के सम्मान समारोह का प्रोत्साहन किया जाए जिससे महिलाएं समाज में आकर अपना एक स्थान बना सकें और ऐसी चीज जो महिलाओं के सशक्तिकरण को समाज में स्थान दे सकती है।
महिलाओं को उनके कार्यक्षेत्र या रूचि के क्षेत्र से संबंधित ट्रेनिंग और स्किल्स डेवलपमेंट पर जोड़ दूंगी जिससे वह महिलाएं निरंतर खुद के साथ प्रतियोगिता करते हुए हर दिन एक नए स्तर को अचीव करें और समाज में उनका स्थान निरंतर उच्च स्तर पर जाए।
कत्थक नृत्य के प्रचार-प्रसार के लिए केन्द्र सरकार से आपकी दो अपेक्षाएं?
कत्थक एवं नृत्य की अन्य शैलियों को स्कूल के सिलेबस में जोड़ा जाए जिससे यह बच्चों के शिक्षा का एक अंग बन सके और बच्चों को इसमें रुचि पैदा हो साथ ही इस नृत्य से संबंधित बच्चों का प्रोत्साहित किया जाए और इनको नृत्य एवं संगीत के माध्यम से रोजगार मिल सके।
केंद्र सरकार से मैं उम्मीद करूंगी कि नृत्य एवं कला के विकास के लिए कथक को सरकारी स्कीम जैसे आंगनबाड़ी केंद्र मैं इस तरह के आयोजन किए जाएं जिससे हर आयु की बच्चे एवं महिलाएं कत्थक को सीखें नृत्य का आनंद लें एवं जरूरत पडऩे पर इसे एक प्रोफेशन के रूप में विकसित कर सकें।
अपने जीवन के दो निर्णय जिनपर आपको गर्व है?
मैंने कत्थक को सीखने और सिखाने की इच्छा रखी और अपने फैसले पर पिछले 40 सालों से कायम रही। मुझे बहुत हर्ष होता है कि मैंने भारत जैसे देश में जन्म लिया जहां कला एवं संस्कृति हर प्रांत हर राज्य में बदलती है लेकिन फिर भी अनैकताओं के बीच हमारा भारत एकता का सबसे बड़ा उदाहरण है मैंने नृत्य को सदैव आनंद पूर्वक सीखा एवं आनंद पूर्वक सिखाया और मैं स्टूडेंट्स को भी यही सिखाती हूं वह नृत्य को आनंद से सीखे आगे समय आने पर इसको प्रचार और प्रसार करें और अपना प्रोफेशन भी बना सके।
मैंने अपना जीवन साथी अपनी इच्छा से चुना और पिछले लगभग 28 साल से हम एक दूसरे के साथ हैं और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहे हैं और आज मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व होता है कि मैं आज जिस मुकाम पर हूं मैं अपने पति और मेरे बच्चों के सपोर्ट की वजह से ही हूं मुझे मेरे पति और बच्चों का बहुत सपोर्ट मिला उन्होंने मुझे हर जगह आगे रखा और मेरी बहुत केयर करते हैं तो मुझे इस चीज पर कभी पछताना नहीं पड़ा कि मैंने अपना जीवन साथी अपने आप चुना।
दो बातें जो आप अपने जीवन साथी के लिए कहना चाहती हैं?
वे परिवार के लिए समर्पित रहे और उन्होंने अपनी इंडिविजुअल लाइफ में सैक्रिफाइस करते हुए परिवार को प्रमुखता दी उन्होंने हम सबको डिसिप्लिन में रखते हुए हमे अपने टारगेट्स की तरफ धीरे-धीरे निरंतर रूप से बढऩे में बहुत सहयोग किया और परिवार के सभी सदस्यों को मोटिवेट किया जिससे हम सब ने अपने पर्सनल टारगेट अचीव किया।
उन्होंने कभी जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव को परिवार के ऊपर किसी भी प्रकार का असर नहीं होने दिया हमें कभी एहसास नहीं हुआ कि हमारे परिवार में कोई परेशानी आई वह सभी तरह की परेशानियों को अपने स्तर पर संभालते थे और हम लोग एक नॉर्मल जीवन जी पाते थे जिसकी वजह से हमें कभी लगा ही नहीं कि हमारे जीवन में परेशानियां आई।
दो शख्सियतें जिनसे आप प्रभावित हैं?
मेरे जीवन में मेरे गुरु श्री पंडित चरण गिरधर चांद जी एवं मेरे पिताजी गुरु श्री नालिनिकांत दीक्षित जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। दोनों ही मेरे लिए प्रेरणा स्त्रोत है। मैंने संगीत एवं नृत्य दोनों के सानिध्य में सीखा और जीवन में जितना भी मैं आज कर पाई वह उन दोनों के आशीर्वाद और दिए हुए ज्ञान का ही परिणाम है मेरे गुरु पंडित चरण गिरधर चांद जी जयपुर घराने की आठवीं पीढ़ी है और कत्थक के एक बहुत बड़े आचार्य हैं और मेरे पिताजी भी कला जगत में एक उत्कृष्ट पहचान रखते हैं उन्होंने श्री राम कला केंद्र के लिए अखिल भारतीय स्तर पर कई बार प्रथम स्थान से प्रतियोगिताएं जीती हैं और हम कला प्रेमियों के लिए वह दोनों ही एक आदर्श है हम चाहते हैं कि उनके पद चिन्हों पर चलते हुए हम भी ऐसा कुछ करें जिससे मेरे गुनीजनों को मेरे ऊपर अभिमान हो।
दो कार्य जिनसे आपको आंतरिक खुशी मिलती है?
खुश रहना ऐसे तो मेरा स्वभाव है लेकिन मुझे संगीत एवं नृत्य में बहुत खुशी मिलती है जब मैं अच्छा संगीत सुनती हूं तो मुझे आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है और मैं सभी तरह के तनाव से मुक्त हो पाती हूं ऐसा मुझे तब भी महसूस होता है जब मैं किसी अच्छे कलाकार का नृत्य देखती हूं या स्वयं नृत्य करती हो एक अद्भुत सुख एवं संतुष्टि मिलती है जिससे मन को ऐसा लगता है जैसे सभी विकार दूर हो गए हैं और शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध हो गए हैं संगीत और कला इससे जुड़े रहना मेरे लिए परमसुख है।
संगीत और नृत्य के साथ मुझे मेडिटेशन में भी बहुत सुकून प्राप्त होता है मुझे ऐसा लगता है जैसे कलाकार के लिए ध्यान करना ईश्वर की प्राप्ति का एक मार्ग है जिससे हम सभी तनाव से मुक्त हो जाते हैं और ईश्वर से कनेक्ट हो पाते हैं और अपने रूटीन के विचारों को कुछ समय के लिए भूल जाते हैं और भगवान से जो आनंद की प्राप्ति होती है वह दिन भर के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा का भी एक जरिया है।
आपके जीवन के दो लक्ष्य?
जीवन में मेरा पहला लक्ष्य है जो मैं हासिल करना चाहती हूं कि मेरी अकैडमी एक दिन भारतवर्ष में नृत्य एवं संगीत के क्षेत्र में जानी जाए और ऐसा योगदान दें जिससे मेरी एकेडमी से निकले हुए कलाकार विश्व में भारतीय कला का परचम फहराएं।
भारत सरकार की ओर से मुझे पद्मश्री या इसी तरह का कोई सम्मान मिले जिससे मुझे यह एहसास हो कि मैं अपने देश के लिए कला जगत में योगदान दे पाई जिसके फलस्वरूप मुझे यह सम्मान मिला।