वीमन एचीवर्स
वसुधा गोयल
लेखिका
देहरादून
सामाजिक कुरीतियां मुझे बेचैन करती हैं
हिन्दी मुझे बहुत प्रिय है
आप एक अच्छी लेखिका हैं। लेखन कला आपको विरासत में मिली या यह आपकी अपनी रूचि थी?
मैं बहुत संवेदनशील व्यक्ति हूँ। समाज की कुरीतियाँ देखकर, मैं बहुत परेशान हो जाती हूँ। यहाँ तक की मैं न्यूज़ भी बहुत ही कम सुनती हूँ, क्यूंकि न्यूज़ में भ्रष्टाचार, लड़ाई झगड़ा, रेप इन सब की ख़बर आती है, और मैं यह सब सुनकर बहुत परेशान हो जाती हूँ। इस बेचैनी को कम करने के लिए मैंने लिखना शुरू किया। लिखना मेरे लिए एक मेडिसन की तरह है।
किन विषयों पर लिखना आपको पसंद है?
जैसा कि मैंने ऊपर बताया, सामाजिक कुरीतियाँ मुझे बेचैन करती हैं। तो सबसे ज्यादा मुझे सामाजिक कुरीतियों पर लिखना पसंद है। मैं उनका कोई प्रभावी समाधान भी निकालना चाहती हूँ। मुझे प्रकृति के ऊपर लिखना भी पसंद है। रिश्तों पर और जि़न्दगी पर भी लिखना पसंद है।
आप हिंदी भाषा में लिखना पसन्द करती हैं। हिंदी भाषा की कौन सी विशेषताएँ आपको प्रभावित करती हैं?
हिंदी हमारी मातृभाषा है। बचपन में, मैंने पहला शब्द ही हिंदी में बोला। हिंदी मुझे बहुत प्रिय है। पहला विचार ही दिमाग़ में हिंदी भाषा में आता है। इसलिए मुझे हिंदी की हर बात पसंद है। अपने वाक्य को सुंदर बनाने के लिए अलंकार का प्रयोग किया जाता है। मुझे वह सबसे ज्यादा पसंद है।
कविताएँ लिखना आपको क्यों प्रिय है?
कविता के माध्यम से आप, कम शब्दों में ज़्यादा बात कह सकते हो। कभी-कभी तो कविता जितनी छोटी होती है उतनी ही प्रभावित करती है। आप खुलकर अपनी संवेदना कम शब्दों में लोगों तक पहुंचा सकते हो। एक लय, ताल के साथ पढ़ी जाती है जो दिल को बहुत सुकून देती है। इसलिए मुझे कविता लिखना और पढऩा बहुत पसंद है।
अपने प्रथम काव्य संग्रह ‘कस्तूरी’ में एक लेखिका के रूप में किन भावनाओं को आपने पाठकों के समक्ष रखा है?
जो कुछ भी मैंने अपने आसपास घटित होते देखा या फिर यूँ कहिए, समाज की जो भी कुरीतियाँ मुझे तंग करती है। जो भी भाव उनको देखकर पनपते हैं। मैंने, अपने काव्य संग्रह ‘कस्तूरी’ में शब्दों में बयां किये है। ‘कस्तूरी’ पढ़कर आपको ऐसा प्रतीत होगा कि यह सब तो आपके ख़ुद के आसपास ही घटित होता रहता है। आप कस्तूरी को अपनी जिंदगी से रिलेट भी कर पाएंगे।
आपके प्रथम काव्य सँग्रह ‘कस्तूरी’ को एक वर्ष पूर्ण हो गया है। इस एक वर्ष में पाठकों की कैसी प्रतिक्रियाए आपको मिली?
पाठकों से मुझे हमेशा अच्छी प्रतिक्रिया ही मिली हैं।
अपनी रचनाओं की आलोचनाओं को आप किस रूप में स्वीकारती हैं?
आलोचनाएं हमारे व्यक्तित्व को निखारने के लिए बहुत आवश्यक है। मैं भी अपनी रचनाओं की आलोचना इसी रूप में लेती हूँ कि मैं और बेहतर लिख सकूं। आलोचनाओं से कभी भी घबराना नहीं चाहिए। हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए।
वर्तमान परिदृश्य में प्रेरणादायक कृतियाँ उपलब्ध हैं। नए लेखक बहुत अच्छा लिख रहे है, पर पुस्तकें पढऩे में पाठकों की रुचि कम होती जा रही है। इसके क्या कारण आप मानती हैं?
मुझे इसका मुख्य कारण टेक्नोलॉजी लगता है। ओटीटी प्लेटफॉर्म का आना भी किताबें ना पढऩे का मुख्य कारण है। आजकल बाजार में सॉफ्ट कॉपी बहुत उपलब्ध हैं। लोग उन्हें खरीद कर बुक डाउनलोड कर लेते हैं तो पेपरबैक कॉपी कम खरीदी जाती हैं। परंतु मेरा मानना है कि लोग अभी भी बहुत पुस्तकें पढ़ते हैं चाहे वह सॉफ्ट कॉपी हो या पेपरबैक। पुस्तकों को पसंद करने वाले अभी भी बहुत हैं।
एक लेखिका के रूप में आप अपने क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के लिए क्या करना चाहतीं हैं?
सबसे पहले तो मैं भ्रूण हत्या को रोकना चाहती हूँ। भ्रूण हत्या का कारण क्या है? उस कारण को पहले जड़ से खत्म करना होगा। तभी यह भ्रूण हत्या रुकेगी। अगर नारी पैदा ही नहीं होगी तो नारी सशक्तिकरण कैसे संभव है? सबसे पहले तो उसे एक सुरक्षित माहौल ही मिलना चाहिए। मैं सबसे पहले उसी के लिए कार्य करना चाहूंगी। ऐसे नारी सशक्तिकरण के लिए तो बहुत सारे विषय हैं। उनकी सूची बहुत लम्बी है।
आपके पसंदीदा लेखक कौन हैं जिनसे आपको हमेशा प्रेरणा मिलती है?
मेरा पसंदीदा लेखक प्रेमचंद जी, कबीर दास जी महादेवी वर्मा जी, सुभद्रा कुमारी चौहान जी, हरिवंश राय बच्चन जी गुलजार साहब जी इन सब से मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है। प्रेमचंद जी की कहानियां मुझे लिखने की प्रेरणा देती है। कुमार विश्वास जी इरशाद कामिल जी मुझे बेहद पसंद है।
अपनी लेखन यात्रा को आगे किस रूप में जारी रखना चाहती हैं?
कविता कहानी आर्टिकल्स मैं सब कुछ लिखना चाहती हूं। मेरे मन के भावों को मैं हर रूप में लिखना चाहती हूं और हिंदी को मैं नए आयाम तक पहुंचाना चाहती हूं।
कॉरपोरेट इनसाइट के ज़रिए आप अपने पाठकों से क्या कहना चाहेंगीं?
मैं पाठकों को संदेश देना चाहूंगी कि वह जो कुछ भी करना चाहते हैं, वह करें। जिस कार्य करने में आपको आनंद मिले वह करें। अपने पसंद का काम करें। दूसरे आपके बारे में क्या कहते हैं,? क्या नहीं ?वह ना सोचे। कोई भी काम सीखने या काम करने की कोई उम्र नहीं होती। आप जब चाहे अपने शौक को आगे बढ़ा सकते हैं। सबसे पहले जीवन में आप अपने स्वास्थ्य को बढिय़ा करें। स्वास्थ्य के बिना कोई भी कार्य करना संभव नहीं। सदा खुश रहें। संतुष्ट रहें।