दो बातें
सागर सैनी
अभिनेता एवं लेखक
मुंबई
दो बातें जो एक सफल अभिनेता में होनी चाहिए?
सिनेमा की समझ ।
अपने पात्र में समाहित होकर उसे गहराई से अभिनीत करने की अभिनय क्षमता।
अभिनय क्षेत्र में आने के दो कारण?
मेरा शौक।
विभिन्न पात्रों को साकार करने की इच्छा।
कैरियर के प्रारंभिक दौर में आपके लिए दो प्रमुख चुनौतियां?
बॉलीवुड को समझना और अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद।
उन दिनों डिजिटल ऑडिशन्स की सुविधा नहीं थी। आपकी तस्वीरें ही आपकी प्रतिभा की पहली पहचान होती थी। अपनी तस्वीरों के बल पर काम हासिल करना एक बड़ी चुनौती रही।
आपके दो पसंदीदा कलाकार जो आपकी प्रेरणा रहे हैं?
कई फिल्मी हस्तियां मेरी पसंदीदा रही हैं जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।
अभिनय सम्राट दिलीप कुमार के साथ साथ स्व. लीला मिश्रा और स्व. कन्हैयालाल मेरे पसन्दीदा कलाकार रहे हैं।
आपके दो प्रिय टी.वी. सीरियल?
दूरदर्शन में प्रसारित हुए टी.वी. सीरियल्स ‘श्री कृष्णा’ और ‘ब्रम्हा-विष्णु-महेश’ जिनमें मैंने नारदमुनि का किरदार निभाया था।
इन दिनों प्रसारित हो रहा सीरियल ‘तेरी मेरी डोरियां’ भी मुझे बहुत पसंद है जिनमें मैंने अजीत सिंह मोंगा की भूमिका की है।
अपने जीवन के दो निर्णय जिन पर आपको गर्व है?
एक्टर बनने का फैसला।
मुंबई आकर बॉलीवुड को अपनी कर्मभूमि बनाना।
दो बातें जिनसे आप प्रभावित होते हैं?
सकारात्माक सोच।
किसी से अपेक्षा किए बिना स्वयं की कार्यक्षमता पर विश्वास करना।
दो बातें जो आपको नाराज करती हैं?
किसी का मजाक उड़ाना।
स्वयं को सर्वज्ञानी समझना और अनावश्यक किसी के कार्यों में दखल देना।
‘तेरी मेरी डोरियां’ सीरियल के दो बड़े आकर्षण?
इस सीरियल के प्रोडक्शन हाउस और चैनल बहुत अच्छे हैं।
इस सीरियल की पटकथा और संवाद बहुत ही सशक्त हैं। डॉयलाग स्वाभाविक और प्रभावशाली लिखे गए हैं और दर्शकों पर अपनी गहरी छाप छोड़ते हैं।
बॉलीवुड की दो बातें जो इसकी पहचान है?
यहां के लोग अथक मेहनत करते हैं और प्रोफेशनल हैं।
सच्चे कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर ज़रूर मिलता है।
आपके जीवन के दो आत्मबल?
मेरे भाई साहब।
मेरी पत्नी।
नए कलाकारों के लिए आपके दो सुझाव?
निरंतर अपनी कला को तराशें।
बॉलीवुड में आपकी मेहनत के साथ भाग्य भी जरूरी है। ऐसा मेरा मानना है।
आपकी दो उपलब्धियां जिनमें आपको संतुष्टि मिली?
बॉलीवुड में संघर्ष कर आज जो भी अपनी पहचान बनाई है उससे खुश हूं।
पूर्ण रूप से संतुष्ट हो जाना सृजनात्मक लोगों का स्वभाव नहीं होता। निरंतर अपने कार्यों को निखारते रहना जरूरी है।
आपके दो पसंदीदा कोट्स?
दुष्यंत कुमार की पंक्तियां- कौन कहता है आसमान में सुरखा नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।
मेरी लिखी कविता से- अमावस के बाद ही चांदनी आती है, उदास न हो यह किस्मत है पलट जाती है।
दो कार्य जो आप अपनी फिटनेस के लिए करते हैं।
आहार पर विशेष ध्यान।
योगा और मॉर्निंग वॉक।
दो लक्ष्य जो आप जीवन में हासिल करना चाहते हैं।
मेरे द्वारा अभीनीत किरदार यादगार बन जाएं।
मेरे लेखन की गंभीरता को पाठक समझे और सराहें।
जीवन में सफलता के दो मूल मंत्र?
सकारात्मक सोच।
अपने अहम का त्याग कर विनम्र रहना।