21वीं सदी का भारत अलग है, जो आतुर है, आकांक्षी है, पहले से अधिक प्रतिबद्ध है और उभरती विश्व व्यवस्था में अपना सही स्थान तलाश रहा है। हम चीन के बाद दूसरे नंबर पर मैन्युफैक्चरिंग हब और विदेशी निवेश के लिए सबसे पसंदीदा देश के रूप में उभर रहे हैं। भारतीय लोग माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और ट्विटर आदि जैसी दुनिया की सबसे बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। हमारी आईटी कंपनियां जैसे इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो आदि दुनिया भर में कॉर्पोरेट्स और सरकारों को समाधान प्रदान कर रही हैं। अब हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 शिक्षा की दिशा में एक सकारात्मक पहल है जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में नई गुणवत्ता को स्थापित करना और आसान बनाना है जो वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में – ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की नींव रखेगी। किसी भी देश की शिक्षा नीति यह सुनिश्चित करती है कि युवाओं की प्रारंभिक शिक्षा की नींव कितनी सामथ्र्यवान है। उनके शब्दों में, ”हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें बल्कि देश को आगे बढऩे के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत है, वह शिक्षा व्यवस्था अपने देश को उपलब्ध कराएं। इस संकल्प का नेतृत्व हमारे शिक्षक और शिक्षण संस्थानों को करना है। प्रधानमंत्री ने शिक्षा में आधुनिकता के साथ कदमताल की जरूरत पर जोर देते हुए कहा ‘हमें यह पता होना चाहिए कि दुनिया आगे किस तरफ जा रही है, कैसे जा रही है और उसमें हमारा देश और हमारे युवा कहां हैं। शिक्षा में यही व्यवस्था हमारी शिक्षा व्यवस्था का प्रेरणास्त्रोत होनी चाहिए। ‘
सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी सोच पर आधारित एक विश्वविद्यालय है जिसने स्वयं को दुनिया भर में एक अग्रणी शैक्षणिक संस्थान के रूप में स्थापित किया है। यह मुंबई का पहला निजी विश्वविद्यालय है। अपने शिक्षा मानक और लगातार विकसित होते हुए, छात्रों के लिए विकल्पों की एक श्रृंखला खोली है। बहु-विषयक गतिविधियों की एक विस्तृत पसंद के साथ पहले कभी नहीं किए गए शैक्षणिक अनुकूलनशीलता की शुरुआत की है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय ने एक विशेष छात्र विनिमय कार्यक्रम, सहयोगात्मक और समावेशी शिक्षा और विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम पेश किए हैं। अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक मांग को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के हर पहलू को डिजाइन किया है। यह अपने विचारों की पहुंच में वैश्विक है और इसकी सेवा में सार्वभौमिक है। सम्मान की बात है कि विश्वविद्यालय में 222 कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों के साथ 34 संस्थान चलते हैं। यह 39000 छात्र, 4000 शिक्षक और कर्मचारियों का एक प्रगतिशील संस्थान हैं।
सोमैया विद्या विहार विश्वविद्यालय निरन्तर प्रयत्नशील है कि शिक्षण संस्थाओं में अध्ययनरत युवा शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक रूप से सशक्त हों, ऊर्जावान हों, इसके साथ ही इन युवाओं में सांस्कृतिक, सामाजिक, नैतिक प्रतिबद्धता मूल्यबोध एवं संस्कार विकसित हों और वे संवेदनशील भी हों ताकि ये युवा अध्ययनोपरान्त जब समाज में जायें तब अपना श्रेष्ठतम योगदान देते हुए मानवता की सेवा कर सकें।
विद्यार्थी के व्यक्तित्व का बहुआयामी विकास सुनिश्चित करते हुए उसे लक्ष्य तक पहुंचने हेतु काबिल बनाना तथा उसके अन्तर्मन में मानवीय गुणों को विकसित करना उच्च शिक्षा का उद्देश्य है। हमारे महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रकाश स्तम्भ हैं, जिसका प्रकाश विद्यार्थियों के माध्यम से सम्पूर्ण समाज और संसार में फैलता है। विद्यार्थी के अन्तर्मन में जीवन मूल्यों का निर्माण शिक्षा के इन्हीं मंदिरों में होता है।
विश्वविद्यालय युवाओं को उच्च शिक्षा के समुचित अवसर प्रदान करने के लिये प्रयासरत हैं। किसी भी विषय में शिक्षा इसके कालातीत मूल सिद्धांतों, इसके वर्तमान संदर्भ और अनुप्रयोगों को प्रतिबिंबित करेगी। जीव विज्ञान, कंप्यूटिंग, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान और हर जगह क्षेत्रों के चौराहे पर बहुत सारी वैज्ञानिक खोज हो रही है। विश्वविद्यालय छात्रों और संकाय को इस दुनिया को संलग्न करने, नई सच्चाइयों की खोज करने, ज्ञान बनाने और साझा करने के लिए नए अनुप्रयोग बनाने के लिए एक वातावरण प्रदान करेंगे।
सोमैया विद्या विहार विश्वविद्यालय के पास पूर्व छात्रों का मजबूत नेटवर्क है। जो भी छात्र विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले हैं। वह विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। वर्तमान में विश्वविद्यालय के छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए पूर्व छात्रों के समर्थन की जरूरत है। पोर्टल के माध्यम से भी पूर्व छात्रों का पंजीकरण कराने की व्यवस्था शुरू की जा रही है, ताकि संबंधित विभागों के पूर्व छात्र विभागों में आकर छात्रों से अपना अनुभव साझा कर उन्हें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के अपने 71वें संस्करण में मजबूत, जीवंत और सक्रिय पूर्व छात्रों के नेटवर्क के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं पूर्व छात्रों से आग्रह करना चाहता हूं कि जिस संस्थान में उन्होंने अध्ययन किया है, उसके साथ अपने संबंधों को मजबूत करते रहें। चाहे वह स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय के स्तर पर हो। मैं संस्थानों से भी आग्रह करता हूं कि वे पूर्व छात्रों को जोडऩे के नए और अभिनव तरीकों पर काम करें और रचनात्मक मंच विकसित करें ताकि पूर्व छात्रों को सक्रिय रूप से शामिल किया जा सके।’ पूर्व छात्र संघ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, चाहे छात्रों को सलाह देने की बात हो, नवीनतम बुनियादी ढांचा दान करने की बात हो, छात्रवृत्ति प्रदान करने की बात हो। छात्रों को प्रोत्साहित करने की कड़ी में सोमैया विद्यविहार विश्वविद्यालय ने एक और कदम अपने पहला दीक्षांत समारोह के तौर पर रखा है जहां पर सभी विद्यार्थियों को चरित्र गठन, पारस्परिक सद्भावना, राष्ट्र प्रथम के बारे में बताया गया। सोमैया विद्याविहार विश्वविद्यालय (एसवीयू) ने 31 अक्टूबर को विद्याविहार, मुंबई में अपने परिसर में अपना पहला दीक्षांत समारोह आयोजित किया। कुल 1324 छात्रों ने विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, जैसे प्रबंधन अध्ययन, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, शिक्षा, विज्ञान, वाणिज्य और व्यवसाय अध्ययन, मानविकी और सामाजिक विज्ञान, और धर्म अध्ययन।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंफोसिस साइंस फाउंडेशन के सह-संस्थापक और अध्यक्ष पद्म भूषण श्री क्रिस गोपालकृष्णन थे। उन्हें एक वैश्विक व्यापार और प्रौद्योगिकी विचारक नेता के रूप में मान्यता प्राप्त है, और उन्हें एशिया के शीर्ष अधिकारियों की संस्थागत निवेशक की उद्घाटन रैंकिंग में शीर्ष सीईओ (आईटी सेवा श्रेणी) चुना गया था।
छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए पदम विभूषण श्री कृष्ण गोपाल कृष्ण चेयरमैन और इंफोसिस फाऊंडेशन में मेंबर हैं। इंफोसिस में उनको प्रथम कन्वोकेशन का आवाह्न किया गया, इन्फोसिस साइंस फाउंडेशन के सह-संस्थापक और अध्यक्ष पद्म भूषण श्री क्रिस गोपालकृष्णन ने स्नातक छात्रों के लिए अपने अनुभव और ज्ञान के कुछ शब्दों को साझा करते हुए कहा, ‘यह स्नातकों और उनके परिवारों के लिए और विश्वविद्यालय के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि यह उनका पहला दीक्षांत समारोह है। सभी छात्रों के लिए, अब जीवन में अपनी अगली पारी लेने का समय है, और मैं आप सभी को यहां तक आने के लिए बधाई देता हूं। मैं 1959 में विश्वविद्यालय की वास्तविक नींव रखने के लिए संस्थापक – पद्म भूषण करमशी जेठाभाई सोमैया और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की परंपरा को जारी रखने के लिए एसवीयू के वर्तमान चांसलर समीर सोमैया के दृष्टिकोण को बधाई देता हूं।’